NEXT 6 सितम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। तेरापंथ धर्मसंघ के आध्य-प्रवर्तक आचार्य भिक्षु का 223वां चरमोत्सव तेरापंथ भवन में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। यह आयोजन साध्वी प्रमिला कुमारी के सान्निध्य में हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत बेंगलुरु से आई ऋजुता डोसी और हीना डोसी ने की। साध्वी आस्थाश्री और साध्वी विज्ञप्रभा ने आचार्य भिक्षु के उद्गारों और दृष्टांतों का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया। साध्वी तेजसप्रभा ने गीतिका के माध्यम से भक्ति रस घोला, वहीं अणुव्रत समिति अध्यक्षा सुमन बाफना ने कविता और वक्तव्य के जरिए श्रद्धांजलि दी।

साध्वी प्रमिला कुमारी ने प्रवचन में कहा कि आचार्य भिक्षु सत्य की खोज करने वाले संत थे। भाद्रव शुक्ला त्रयोदशी, विक्रम संवत 1860 को सिरियारी में उनका जन्म हुआ। उन्होंने जो सिद्धांत दिए, वे आज भी समयानुकूल हैं और जीवन की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं। उनके बताए मार्ग पर चलकर मनुष्य शांति और आनंदपूर्ण जीवन जी सकता है।

कार्यक्रम के अंत में संघ गान हुआ। रात को 7:30 से 9:30 बजे तक धाम-जागरण का आयोजन किया गया।
इस मौके पर तेरापंथ सभा मंत्री जतन लाल सेठिया, अणुव्रत समिति की पूर्व अध्यक्षा किरण पटवारी, मंत्री राकेश संचेती, बेंगलुरु से महेश डोसी परिवार सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
