NEXT 1 जुलाई, 2025 श्रीडूंगरगढ़। क्षेत्र की एक नाबालिग के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के 14 साल पुराने मामले में मंगलवार को एडीजे कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 10-10 वर्ष के कठोर कारावास और 10-10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता बाबूलाल दर्जी ने पीड़िता की ओर से मजबूती से पैरवी की और न्याय की निर्णायक लड़ाई में अहम भूमिका निभाई।
घटना का विवरण
6 अप्रैल 2011 को क्षेत्र के एक गांव में 16 वर्षीय नाबालिग को उसके घर के बाहर से अगवा कर सरदारशहर ले जाया गया, जहां तीन युवकों ने उसके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया। घटना के बाद 21 अप्रैल 2011 को मामला दर्ज हुआ और 3 जून 2011 को तीनों आरोपी गिरफ्तार किए गए थे।
दोषी पाए गए आरोपी
- संतोष पुत्र पूर्णाराम, निवासी ठुकरियासर
- दाताराम पुत्र मनोहरलाल, निवासी ठुकरियासर
- जवाहरसिंह पुत्र राजसिंह, निवासी झज्जर (हरियाणा)
तीनों आरोपी 21 मार्च 2012 से जमानत पर थे।
अपर लोक अभियोजक सोहननाथ सिद्ध ने बताया कि अदालत में कुल 14 गवाहों की गवाही करवाई गई, जिसमें पीड़िता, डॉक्टर, परिजन सहित अन्य लोग शामिल थे।
न्यायाधीश सरिता नौशाद ने अपने फैसले में कहा—
“यह अपराध समाज को झकझोरने वाला है। बलात्कार केवल एक व्यक्ति नहीं, पूरे समाज के खिलाफ अपराध है। पीड़िता की आत्मा व गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले ऐसे अपराधियों के प्रति नरमी नहीं बरती जा सकती।“
वरिष्ठ अधिवक्ता बाबूलाल दर्जी की प्रभावशाली पैरवी से ही यह पुराना केस अपने तार्किक और न्यायपूर्ण निष्कर्ष तक पहुंच सका। कोर्ट परिसर में आमजन और पीड़िता के परिजनों ने उनके प्रयासों की खुले दिल से सराहना की।