NEXT 15 जुलाई, 2025 श्रीडूंगरगढ़। करीब 10 साल पहले एक विवाहिता की रहस्यमयी जलकर हुई मौत के मामले में श्रीडूंगरगढ़ एडीजे कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। न्यायालय ने पति आशाराम को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया। मामला आत्महत्या के लिए उकसाने और दहेज प्रताड़ना से जुड़ा था।
क्या था मामला?
मूल रूप से श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के आडसर बास निवासी आशाराम पुत्र चम्पालाल प्रजापत की शादी आशा से करीब 9-10 साल पहले हुई थी। पीहर पक्ष का आरोप था कि ससुराल पक्ष लगातार पचास हजार रुपए नकद और घरेलू सामान की मांग कर रहा था। आशा के मायके वालों ने कई बार पंचायतें कीं लेकिन हालात नहीं बदले।
20 सितंबर 2014 को आशा की जली हुई नग्न अवस्था में लाश उसके घर के बाहर पाई गई। मौके से प्लास्टिक का डिब्बा और माचिस बरामद हुई। पिता हड़मानराम निवासी बादनूं की रिपोर्ट पर धारा 306 और 498A के तहत मामला दर्ज हुआ।
क्या कहा अभियोजन ने?
प्रकरण में अभियोजन पक्ष ने कुल 16 गवाह पेश किए। सभी ने ससुराल पक्ष द्वारा दहेज की मांग और शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना की बात कही। मृतका के पिता ने यह भी बताया कि आरोपी शराब पीकर मारपीट करता था और बार-बार रूपयों की मांग करता था।
क्या बोला बचाव पक्ष?
बचाव पक्ष की ओर अधिवक्ता बाबूलाल दर्जी ने दलील दी कि—
- आशा के साथ कोई प्रत्यक्ष मारपीट नहीं हुई,
- घटना के समय आरोपी आशाराम काम के सिलसिले में घर से बाहर था,
- सभी गवाह मृतका के ही परिजन हैं, कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है।
अभियुक्त के अधिवक्ता बाबुलाल दर्जी ने कहा कि
“अभियोजन पक्ष यह सिद्ध नहीं कर पाया कि आशा की आत्महत्या के पीछे सीधे तौर पर आरोपी जिम्मेदार था। सभी गवाह रिश्तेदार हैं और किसी ने घटना को अपनी आंखों से नहीं देखा।”
फैसला: आरोपी को दोषमुक्त किया गया
सत्र न्यायाधीश सरिता नौशाद ने निर्णय में कहा कि—
“प्रकरण में आरोपी के विरुद्ध कोई ठोस और संदेह से परे प्रमाण नहीं पाया गया। अतः उसे संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया जाता है।“