NEXT 22 जुलाई, 2025 श्रीडूंगरगढ़। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने 4 लाख रुपए के चेक बाउंस मामले में आरोपी अभिषेक डागा पुत्र मनमोहन डागा बीकानेर को दोषी करार देते हुए साफ किया कि “आरोपी खुद अपने हस्ताक्षर से चेक जारी करता है, फिर जिम्मेदारी से बच नहीं सकता।”
किशन नाथ पुत्र गणपतनाथ सिद्ध पूनरासर ने यह केस साल 2017 में दायर किया था। उनका आरोप था कि आरोपी ने 20 दिसंबर 2016 को बीकानेर की IDBI बैंक से ₹4 लाख रुपए का चेक दिया, जो बैंक में “पर्याप्त राशि नहीं होने” के कारण बाउंस हो गया। फरियादी ने विधि अनुसार 6 मार्च 2017 को नोटिस भेजा, पर भुगतान नहीं हुआ।
❝ आरोपी बोला– चेक तो चोरी हो गया था ❞
सुनवाई के दौरान आरोपी ने दावा किया कि वह चेक चोरी हो गया था और किशननाथ ने उसका गलत इस्तेमाल किया। मगर कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
कारण–
- चेक पर अभिषेक के हस्ताक्षर स्पष्ट थे
- कोई चोरी की रिपोर्ट या पुलिस में शिकायत नहीं दी गई
- आरोपी ने न तो चेक वापसी का प्रमाण दिया और न ही कोई ठोस दस्तावेज
कोर्ट ने कहा कि आरोपी यदि सच में निर्दोष होता तो जवाबी नोटिस देता, पुलिस में रिपोर्ट करता या अदालत में दस्तावेज रखता। लेकिन उसके पास कोई सबूत नहीं था कि चेक कैसे चोरी हुआ और क्या प्रयास उसने किए।
फरियादी की ओर से अधिवक्ता पूनमचंद मारू ने कोर्ट में पेश किए ये सबूत:
- मूल चेक (₹4 लाख)
- बैंक का रिटर्न मेमो
- नोटिस भेजने की रसीदें
- गवाह के रूप में खुद किशननाथ ने बयान दिया
कोर्ट ने क्या कहा?
पीठासीन अधिकारी हर्ष कुमार ने कहा कि “धारा 138 परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत चेक जारी करने वाला व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि भुगतान नहीं करना उसका अधिकार था। जब तक यह सिद्ध नहीं हो कि चेक गलत तरीके से प्राप्त किया गया, तब तक उसे दोषमुक्त नहीं किया जा सकता।”
फैसला: आरोपी अभिषेक डागा को दोषी करार देते हुए 2 साल का कारावास और 6.5 लाख रुपये की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।