NEXT 1 सितम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया। देश के अलग अलग कोनों में कस्बे के प्रवासी नागरिक आजकल कुछ ऐसे ही जयकारों के साथ गणेशोत्सव मना रहे है। जिसमें कोई अपनी सोसायटी में गणपति उत्सव मना रहा है तो कोई अपने घरों में ईको फ्रेंडली गणेशजी की स्थापना कर रहे है। NEXT ने इस बार देश के अलग अलग हिस्सों में रहने वाले प्रवासी नागरिकों के गणेशोत्सव के मोती को एक साथ पिरोकर पूरी माला सजाई है। पेश है पूरी रिपोर्ट –

ईको फ्रेंडली गणेश जी लेकर आते हैं खुशियां
देश की राजधानी दिल्ली के शास्त्री नगर में रहने वाले कुमार हरिओम के घर पर प्रतिवर्ष ईको फ्रेंडली गणेशजी की प्रतिमा आती है। वे बताते हैं कि इस बार उनकी 6 वर्षीय बेटी कृधा ने गणेशजी के पंडाल को खुद अपने हाथों से सजाया। वो रोज गणपतिजी की आरती करती है। उनको भोग लगाती है। मूलरूप से श्रीडूंगरगढ़ निवासी कुमार हरिओम बताते है कि दिल्ली जैसे शहर में गणपति विसर्जन को लेकर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पर्यावरण के अनुकूल त्योहार को मनाने के लिए ईको फ्रेंडली गणेशजी विराजित करते है, इसके बाद घर में ही उनका विसर्जन करके मिट्टी के पानी को गमलों में डाल देते है।

वे आगे बताते है कि गणपति उत्सव का उन्हें हर साल बेसब्री से इंतजार रहता है। घर में हर साल सीधी सूंड वाले गणपतिजी विराजित करते है। रोज उनकी पूजा के बाद मोदक का भोग लगता है। इससे घर का माहौल एकदम खुशनुमा हो जाता है। इस बार उन्होंने गणपतिजी से अपने कस्बे और कस्बेवासियों के विकास के लिए प्रार्थना की।
नांदेड़ में मनाते है गणपति
कस्बे के तोलियासर गांव निवासी सुनील राजपुरोहित महाराष्ट्र के नांदेड़ में परिवार समेत रहते है। वे बताते है कि प्रतिवर्ष उनके यहां गणपति स्थापना होती है। गणपतिजी की आरती में आसपास रहने वाले कस्बे के अन्य लोग भी शामिल होते है। उनके पिताजी बहादुर सिंह राजपुरोहित बताते है कि इस धार्मिक आयोजन के बहाने सभी से मिलना जुलना भी हो जाता है। गणपतिजी का ही आशीर्वाद है कि आज वो नांदेड़ में रहकर कस्बे का नाम रोशन कर रहे है।

10 सालों से सारिका के यहां विराजते है गणपतिजी
सूरत में रहने वाली कस्बे की सारिका जैन बताती है कि 10 वर्ष पूर्व जब हमने पहली बार घर में गणपतिजी विराजित किए तो सोचा कि कैसे करेंगे, कैसे होगा। लेकिन अब 10 वर्ष हो गए। इतने सालों के बाद तो ये समय आते ही गणपतिजी दिखने शुरू हो जाते है। घर में यही डिक्शन होता है कि इस बार गणपतिजी के लिए क्या थीम रखेंगे। हमें नाज होता है जब हमें आसपास के लोग कहते है कि आप तो वही मारवाड़ी हो ना जिनके यहां गणपतिजी विराजते है। गणपतिजी आने से घर का माहौल एकदम सकारात्मक हो जाता है।

असली विजय तो गणपतिजी है
श्रीडूंगरगढ़ कालू बास के प्रवासी विजयराज बुच्चा हैदराबाद के गाचीबोवली में परिवार समेत रहते है। वे बताते है कि हमारे घर में सालों से गणपतिजी विराजित होते है। रात के समय भजन कीर्तन होता है तो परिवार के लोगों के साथ काफी संख्या में अपने कस्बे के लोग भी शामिल होते है। अपने लोगों के साथ बप्पा की सेवा करने का आनंद ही अनूठा है। वे बताते है कि बड़ों से लेकर हमारे घर से बच्चे भी इस उत्सव में बढ़चढ कर हिस्सा लेते है। इस बहाने बच्चे भी बरसों से चली आ रही धार्मिक चीजों की पालना तो करते हैं। यही तो असली विजय है।

वडोदरा की सोसाइटी में विराजे गणपतिजी
कस्बे के दुलचासर गांव के रहने वाले प्रहलाद सुथार परिवार समेत वडोदरा, गुजरात रहते है। उन्होंने बताया कि हमारी सोसाइटी में प्रति वर्ष गणपतिजी विराजित होते है। बप्पा की इस बार ऐसी कृपा रही कि मैं और मेरी पत्नी ममता के हाथों सोसाइटी में गणपतिजी की स्थापना हुई। उनकी पत्नी ममता ने बताया कि जब तक गणपतिजी विराजित रहते है, पूरी सोसाइटी एकजुट होकर सेवा करती है। बड़े तो बड़े बच्चे भी अपना अपना काम बांट लेते है। पंडाल की थीम, भजन सब डिसाइड होते है। सोशल मीडिया के युग में गणपतिजी की बच्चे और बड़े सब रोज रील बनाते है और एक दूसरे से शेयर करते है। साथ ही घर में भी गणपति विराजित करते हैं।

हमारे घर के दुलारे हैं गणपतिजी
महाराष्ट्र में गणपति पूजा का अलग ही क्रेज होता है। मुंबई के ठाणे में रहने वाली कस्बे की मीनाक्षी कोठारी ने बताया उनके घर में प्रतिवर्ष गणपतिजी का आगमन होता है। मैं, मेरे पति प्रकाश, मेरी दोनों बेटियां कियारा और प्राक्षी कई दिन पहले ही इतने ज्यादा एक्साइटेड हो जाते है कि देर रात तक इसी आयोजन की प्लानिंग करते रहते हैं।
हमारे यहां आसपास में काफी संख्या में गणपतिजी विराजित होते है, लेकिन इसके बावजूद जब तक हमारे यहां गणपतिजी रहते है आने जाने वालों का तांता लगा रहता है। भजन कीर्तन होते है। बच्चे अपनी परफॉर्मेंस देते है। बड़े एक दूसरे से मिलते है। इस बार हमने डेढ़ दिन के लिए गणपतिजी की स्थापना की। जिस दिन गणपति जी का विसर्जन हुआ। मेरी दोनों बेटियां उदास हो गई। उनके विसर्जन के बाद घर एकदम सूना हो गया। अब उसी का इंतजार है ‘बप्पा अगले बरस तुम जल्दी आना’

सपरिवार बप्पा का आशीर्वाद लिया
कस्बे के कालू बास निवासी अनिल माली सपरिवार अहमदाबाद में रहते है। उन्होंने NEXT को बताया कि गुजरात में नवरात्रि ही नहीं, गणपति पूजा भी शानदार तरीके से आयोजित होती है। नरोल की स्वास्तिक सिटी सोसाइटी में इस बार बेहद शानदार तरीके से गणपति स्थापना हुई, जिसमें मैंने अपने पूरे परिवार के साथ बप्पा का दर्शन करके उनका आशीर्वाद लिया। बच्चों को भी बहुत अच्छा लगा।

इंदौर में तीन पीढ़ियों ने एक साथ गणपति को मनाया
इंदौर प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ता बजरंग सोमाणी ने बताया कि उनकी धर्मपत्नी सरला, पुत्रवधु जयश्री, आशा, पुत्र अमित, मुकुंद और पौत्र धैर्य, गर्वित, पौत्री मन्नत ने उनकी सोसाइटी में बढ़े धूमधाम से गणपति की स्थापना की। सोमाणी ने बताया कि इस दौरान सभी से परिचय हो जाता है और आपसी सम्बंध मधुर और मजबूत बनते हैं।


