
धारा 185 के अनुसार अपराध
अगर कोई व्यक्ति शराब पीकर या किसी नशे की हालत में सार्वजनिक स्थान पर वाहन चलाता है और उसके खून में 100 मिलीलीटर पर 30 मिलीग्राम से अधिक अल्कोहल पाई जाती है (जो कि breath analyzer से मापी जाती है), तो वह व्यक्ति इस धारा के तहत अपराधी माना जाता है।
सज़ा और दण्ड
- प्रथम अपराध – 6 महीने की कैद या 10,000 रुपये का जुर्माना, अथवा दोनों।
- पुनः अपराध (Repeat offence) – 2 साल तक की कैद या 15,000 रुपये का जुर्माना, अथवा दोनों।
2019 का संशोधन
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और लोगों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, 2019 में इस धारा में संशोधन किया गया और दण्ड को और कठोर बनाया गया।
अन्य प्रावधान
- नशे की हालत में वाहन चलाते पकड़े जाने पर ड्राइविंग लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
- संबंधित वाहन को जब्त करने का भी प्रावधान है।
- यदि शराब या ड्रग्स के नशे में वाहन चलाने के कारण दुर्घटना होती है, तो दोषी व्यक्ति पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अंतर्गत और भी कठोर दण्ड लागू हो सकते हैं।
निष्कर्ष
धारा 185 MV Act सड़क सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह कानून न केवल वाहन चालकों को जिम्मेदार बनाता है बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि नशे में गाड़ी चलाना केवल गलती ही नहीं, बल्कि अपराध भी है।