
चोरी की परिभाषा: कोई व्यक्ति जब किसी व्यक्ति के कब्जे से चल संपत्ति बेईमानी के आशय से उस व्यक्ति के कब्जे से हटाता है तो वह चोरी कही जाती है। यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य है कि चोरी में बेईमानी का आशय होना जरूरी है और चोरी के लिए चल संपत्ति को मालिक के कब्जे से हटाना आवश्यक होता है।
धारा 303 के अनुसार चोरी अगर किसी खुले स्थान से की गई है तो 3वर्ष तक कारावास और जुर्माने की सजा मिल सकती है।
धारा 305के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी मकान, तम्बू या जलयान से चोरी करता है तो उसे 7वर्ष का कारावास और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
धारा 306 के अनुसार अगर कोई लिपिक या सेवक होते हुए अपने मालिक के कब्जे से कोई संपत्ति चोरी करता है तो उसे 7वर्ष तक का कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 307 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति चोरी करने के उद्देश्य से मृत्यु/ चोट या बंधक बनाने की तैयारी के पश्चात चोरी करता है तो उसे 10वर्ष का कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।