लक्ष्मीनारायण रंगा मानवीय चेतना के सशक्त पैरोकार रहे : जाकिर अदीब
NEXT 12 अक्टूबर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। प्रज्ञालय संस्थान की ओर से देश के ख्यातनाम साहित्यकार, रंगकर्मी, चिंतक और शिक्षाविद् कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा की 92वीं जयंती पर चल रहे तीन दिवसीय समारोह ‘सृजन सौरम–हमारे बाऊजी’ के दूसरे दिन रविवार को ‘काव्य रंगत’ का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में हुआ, जहां शहर के कवि- शायरों ने तीन भाषाओं- हिंदी, उर्दू और राजस्थानी- में काव्य पाठ कर दिवंगत रचनाकार को नमन किया।

मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि- संपादक रवि पुरोहित ने कहा कि “साहित्यकार का संवेदनशील और कालदृष्टा होना आवश्यक है, अन्यथा समय और समाज उसे हाशिए पर धकेल देते हैं। जो सृजनधर्मी भविष्य की संभावनाओं को अपने लेखन में दर्ज करते हैं, वही कालजयी बनते हैं।” उन्होंने कहा कि मात्र घटित घटनाओं का चित्रण पत्रकारिता है, लेकिन जब लेखक भविष्य की चुनौतियों और मूल्यों की झलक अपने लेखन में दिखाता है, तब वह सच्चा साहित्यकार बनता है।
अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने कहा कि लक्ष्मीनारायण रंगा का साहित्य मानवीय चेतना का सशक्त पैरोकार है। उन्होंने साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लेखन कर अद्भुत कीर्तिमान स्थापित किया। ऐसे आयोजनों से शहर की साहित्यिक परंपरा को नई ऊर्जा मिलती है।
वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि रंगा जी की रचनाएं अनुभव, अनुभूति और संवेदनाओं की सच्ची अभिव्यक्ति हैं। उनका सृजन नवबोध, नवसंदर्भ और समसामयिक विषयों पर आधारित रहा है।
‘काव्य रंगत’ में तीन पीढ़ियों के कवियों- शायरों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रमुख प्रतिभागियों में जाकिर अदीब, रवि पुरोहित, कमल रंगा, प्रमोद शर्मा, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, मनीषा आर्य सोनी, डॉ. कृष्णा आचार्य, पुनीत रंगा, कासिम बीकानेरी, सुमित रंगा, मधुरिमा सिंह, सागर सिद्दकी, कैलाश टाक, इन्द्रा व्यास, गिरिराज पारीक, गंगाबिशन बिश्नोई, हरि किशन व्यास, पीतांबर सोनी, अब्दुल शकूर सहित अनेक कवि शामिल हुए।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने किया। स्वागत गिरिराज पारीक ने किया और आभार वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने व्यक्त किया।
समारोह में डॉ. अजय जोशी, आत्माराम भाटी, महेंद्र जोशी, बी.एल. नवीन, डॉ. फारूख चौहान, घनश्याम सिंह, डॉ. तुलसीराम मोदी, शिवप्रकाश शर्मा, आशीष रंगा सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।
सभी ने समारोह की शुरुआत में रंगा जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके साहित्य को नमन किया।















