एफ्लाटॉक्सिन ज्यादा मिलने पर लगाया अस्थाई प्रतिबंध, मंडियों में भाव गिरने का डर
NEXT 2 नवम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। राजस्थान में मूंगफली की राजधानी कहलाने वाले बीकानेर के किसानों और व्यापारियों को बड़ा झटका लगा है। इंडोनेशिया सरकार ने भारत से मूंगफली के आयात पर अस्थाई रोक लगा दी है। इंडोनेशिया की क्वारिन्टाइन अथॉरिटी (IQA) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत से भेजी जा रही मूंगफली में एफ्लाटॉक्सिन की मात्रा तय मानकों से अधिक पाई गई है। आदेश 27 अगस्त 2025 को जारी हुआ और 3 सितंबर से लागू हो गया है।
अब इस फैसले का सीधा असर बीकानेर की मूंगफली मंडियों पर दिखने लगा है। मंडियों में आवक तो हो रही है, लेकिन खरीदारों की सक्रियता घट गई है। व्यापारियों को डर है कि अगर निर्यात लंबे समय तक ठप रहा तो भावों में 10 से 15% तक गिरावट हो सकती है।
हर साल 2.25 लाख टन मूंगफली जाती है इंडोनेशिया
भारत से हर साल करीब 2.25 लाख टन मूंगफली इंडोनेशिया को जाती है, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान के बीकानेर जिले से निर्यात होता है। बीकानेर की मूंगफली अपने मीठे स्वाद और बड़े दाने के कारण विदेशी बाजारों में खास पहचान रखती है।
इस साल जिले में 2.90 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की बुआई हुई है और 8.70 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान है। इस समय बीकानेर की प्रमुख मंडियों में मूंगफली 4500 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है।
क्या है एफ्लाटॉक्सिन?
एफ्लाटॉक्सिन एक विषैला यौगिक है जो मूंगफली में नमी और गलत भंडारण के कारण बनता है। यह फफूंद से उत्पन्न होता है और लीवर कैंसर, पाचन विकार व इम्यून सिस्टम कमजोर करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। यही कारण है कि कई देश इस पर सख्त क्वालिटी मानक लागू करते हैं।
रिकॉर्ड फसल, लेकिन खरीदारों की दूरी से बढ़ी चिंता
बीकानेर की मंडियों में इन दिनों मूंगफली की भारी आवक है, लेकिन इंडोनेशिया के प्रतिबंध के बाद खरीदारों की संख्या घट गई है। व्यापारी बताते हैं कि पिछले साल जहां मूंगफली का बड़ा हिस्सा सीधे निर्यात के लिए खरीदा जाता था, इस बार स्टॉक स्थानीय मिलों तक सीमित रह गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के मूंगफली निर्यात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा इंडोनेशिया को जाता है। अब उसके हटने से न केवल कीमतों पर दबाव बढ़ेगा, बल्कि किसानों को भुगतान में भी देरी हो सकती है, क्योंकि माल लंबे समय तक मंडियों में फंसा रह सकता है।
सरकार को सख्त करना होगा क्वालिटी सिस्टम
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत ने भंडारण और क्वालिटी जांच प्रणाली को सख्त नहीं किया, तो आने वाले सीजन में वियतनाम और चीन जैसे बाजार भी दूरी बना सकते हैं।
सरकार और निर्यात एजेंसियों को चाहिए कि किसानों को एफ्लाटॉक्सिन नियंत्रण की तकनीकें सिखाई जाएं। जैसे खेतों में जलभराव से बचाव, कटाई के तुरंत बाद सुखाई और वैज्ञानिक गोदामों में भंडारण।















