NEXT 8 नवम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। भारत के राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” के 150वें वर्ष के मौके पर न्यूजीलैंड के सबसे ऊंचे स्काई टॉवर से भारतीय तिरंगे की भावना गूंज उठी।
ईको भारत के संस्थापक और सीईओ सम्पत सारस्वत बामनवाली ने सैकड़ों भारतीयों के साथ मिलकर “वंदे मातरम्” गाकर इस ऐतिहासिक दिन को मनाया।

यह कार्यक्रम भारत सरकार की ओर से मनाए जा रहे वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के वैश्विक उत्सव का हिस्सा रहा। इस अभियान का नेतृत्व केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल कर रहे हैं। खुद गोयल ने रोटोरया में हजारों लोगों के साथ वंदे मातरम् गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की।
भारत की आत्मा है “वंदे मातरम्”
- “वंदे मातरम्” की रचना 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी।
- इसे पहली बार 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने गाया था।
- यह गीत आज़ादी के आंदोलन में देशभक्ति का सबसे बड़ा प्रतीक बना।
- इसी भावना को दोबारा जीवित करने के लिए 7 नवंबर 2025 को देश और दुनिया में इसका 150वां उत्सव मनाया गया।
सम्पत सारस्वत बामनवाली की पहल बनी चर्चा का विषय
ऑकलैंड के स्काई टॉवर से “वंदे मातरम्” गूंजाना सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान को दुनिया के सामने रखने की पहल रही।
सम्पत सारस्वत इन दिनों न्यूजीलैंड में भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ता के चौथे दौर में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में भी शामिल हैं।
वे सामाजिक कार्य, सड़क सुरक्षा और हिंदी साहित्य में लंबे समय से सक्रिय हैं।
मोदी बोले- “वंदे मातरम्, हमारी आत्मा का स्वर”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- “वंदे मातरम् हमारी देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव का शाश्वत प्रतीक है।”
राजस्थान में भी एक साथ 50 हजार लोग वंदे मातरम् गाने की तैयारी में हैं।
देशभर में इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी और संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है।
कौन हैं सम्पत सारस्वत बामनवाली
- ईको भारत के संस्थापक और सीईओ
- विश्व हिंदी परिषद के राजस्थान प्रभारी
- सैल्यूट तिरंगा के गुजरात प्रभारी
- वाग्धारा सम्मान-2023 समेत कई सामाजिक पुरस्कारों से सम्मानित
- सड़क सुरक्षा, पर्यावरण और समाज सेवा में सक्रिय योगदान
यह आयोजन न सिर्फ भारत और न्यूजीलैंड के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को नई मजबूती देता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि “वंदे मातरम्” की गूंज अब सीमाओं से परे जा चुकी है।
सम्पत सारस्वत बामनवाली की यह पहल भारतीयता को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाई देती है।















