NEXT श्रीडूंगरगढ़ 3जनवरी, 2025। राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति के तत्त्वावधान में हिन्दी कविता पर परिसंवाद एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जयपुर से आमंत्रित प्रसिद्ध कवि शैलेन्द्र चौहान ने अपनी कविताओं और विचारों से कार्यक्रम को समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि परंपराएं स्थिर नहीं होतीं, बल्कि उनके परिवर्तन में ही सामाजिक कल्याण का मार्ग छिपा होता है। उन्होंने कविता के सौंदर्य और शिल्प पर प्रकाश डालते हुए यह भी कहा कि कविता का भाव पक्ष पाठकों और श्रोताओं को स्पष्ट रूप से समझ में आना चाहिए।
चौहान ने अपनी कविताएं ‘ईश्वर की चौखट,’ ‘दया,’ ‘सुगंध,’ ‘दक्षिण की यात्रा,’ और ‘नौ रुपये चालीस पैसे’ प्रस्तुत कीं। उनकी कविता ‘ईश्वर की चौखट’ में उन्होंने कहा, “तमाम प्रार्थनाएं रह गई अनुत्तरित, कल्पनाएं भाप बनकर उड़ गई।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्याम महर्षि ने परंपराओं के बदलाव और भारतीय संस्कृति की जीवंतता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि परिवर्तनशील समय में भारतीय संस्कृति अपनी पहचान बनाए रखने में सफल रही है।
चर्चा में भाग लेते हुए भाषाविद् साहित्यकार डॉ. मदन सैनी ने कविता को मानवीय भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम बताया। डॉ. महावीर पंवार ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संयोजन साहित्यकार सत्यदीप ने किया, जिसमें बजरंग शर्मा, सत्यनारायण योगी, रामचंद्र राठी, मनीष सैनी, तुलसीराम चोरड़िया, डॉ. विनोद सुथार, डॉ. राजेश सेवग सहित कई विद्वानों ने सहभागिता की।
श्रीडूंगरगढ़ में हिन्दी कविता पर परिसंवाद एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन

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