NEXT 27 नवम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सरिता नौशाद की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में माली देवी और रामेश्वर जाट द्वारा खेत के विक्रय पत्र को निरस्त करवाने के लिए दायर दावा खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि वादीगण अपने आरोप साबित नहीं कर सके, इसलिए विवादित विक्रय पत्र को सही और वैध माना गया है।
प्रतिवादिनी पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता मोहनलाल सोनी की सहयोगी अधिवक्ता दीपिका करनाणी ने बताया कि धोलिया निवासी माली देवी और रामेश्वर जाट ने प्रतिवादिनी मोहनीदेवी पुरोहित के खिलाफ यह कहते हुए दावा दायर किया था कि उसने 3 जनवरी 2007 को उनके पति/पिता खेताराम जाट से धोखे से खसरा नंबर 174, तादादी 5.99 हैक्टेयर (रोही उदरासर) की भूमि का रजिस्टर्ड विक्रय पत्र तैयार करवा लिया।
अदालत में वादी पक्ष की ओर से 5 गवाह पेश किए गए, वहीं प्रतिवादी की ओर से 3 गवाहों ने बयान दिए। दोनों ओर से दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए। प्रतिवादी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मोहनलाल सोनी व उनकी सहयोगी अधिवक्ता दीपिका करनाणी ने विक्रय पत्र को पूरी तरह वैधानिक बताते हुए तर्क प्रस्तुत किए।
तर्कों और साक्ष्यों पर सुनवाई के बाद अदालत ने वादीगण का दावा खारिज करते हुए कहा कि प्रस्तुत विक्रय पत्र विधि सम्मत है और इसे निरस्त करने का कोई आधार नहीं बनता। इसके साथ ही अदालत ने मोहनीदेवी पुरोहित के पक्ष में निर्णय सुना दिया।














