
आम आदमी सरकारी तंत्र में नियुक्त या निर्वाचित व्यक्ति को साब- साब कहकर अपना काम करवाना चाहता है। जबकि ये सभी आमजन की सेवा में नियुक्त लोकसेवक होते हैं। कई बार ऐसे अवसर भी आते हैं जब इन लोकसेवकों द्वारा आमजन पीड़ित होता है और वह डर के मारे चुप होकर बैठ जाता है।
NEXT लेकर आया है एक ऐसी कानूनी जानकारी जो आमजन को भयभीत नहीं, निर्भीक बनाएगी। और इसे पढ़कर आमजन लोकसेवकों के कर्त्तव्यों और स्वयं के अधिकारों के बारे में जान पाएंगे।
लोकसेवक कौन होता है? लोकसेवक वह व्यक्ति होता है जो स्थानीय, राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर किसी सरकारी कार्यालय में नौकरी करने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त होता है या जनता द्वारा निर्वाचित होता है।
उदाहरण के लिए कलेक्टर, उपखण्ड मजिस्ट्रेट, न्यायालय जज, एसपी, थानाधिकारी, सरकारी अस्पताल का डॉक्टर, बिजली अभियंता आदि।
निर्वाचित व्यक्ति में सरपँच, नगरपालिका चेयरमैन आदि व्यक्ति होते हैं।
इन लोकसेवकों द्वारा अपराध किये जाने के संबंध में क्या-क्या दण्ड होता है?
धारा 198 के अनुसार, कोई भी लोकसेवक कानून की अवज्ञा यह जानते हुए करता है कि इस अवज्ञा से किसी व्यक्ति को क्षति पहुंचे तो उस लोकसेवक को 1वर्ष के कारावास और जुर्माने से दण्डित किये जाने का प्रावधान है।
धारा 199 के अनुसार, कोई लोकसेवक किसी ऐसी रीति से ऐसा अन्वेषण यानि तफ्तीश करेगा जो विधि के किसी अन्य निदेश की किसी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए जानते हुए अवज्ञा करेगा। उदाहरण, कोई पुलिस अधिकारी अगर विधि के अनुसार जांच नहीं करता है तो उसका यह कृत्य दोष युक्त है। इसमें दोषी को 2साल का कारावास और दण्ड का प्रावधान है।
धारा 201 के अनुसार, किसी लोकसेवक यह जानते हुए की किसी दस्तावेज की रचना तैयार या अनुवाद यह जानते हुए की यह अशुद्ध है। और इस आशय से किसी व्यक्ति को क्षति कारक करे तो उस लोकसेवक को 3वर्ष का कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकेगा।
धारा 202 के अनुसार, कोई लोकसेवक व्यापार करता है या व्यापार में लगता है तो उसे 1वर्ष की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 203 के अनुसार, लोकसेवक विधि विरुद्ध संपत्ति को क्रय करता है या बोली लगाता है या किसी दूसरे के नाम से संपत्ति/संपत्ति के भाग को खरीदता है तो उसे 2वर्ष की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 255 के अनुसार, कोई लोकसेवक किसी व्यक्ति को दण्ड से बचाने के लिए या संपत्ति को कुर्क होने से बचाने के लिए कानून की अवज्ञा करता है तो उसे 2वर्ष का कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 256 के अनुसार, अगर कोई लोकसेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दण्ड से या सम्पत्ति की जब्ती से बचाने के लिए अशुद्ध रिकॉर्ड या अशुद्ध लिखित की रचना करता है तो उसे 3वर्ष का कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 257 के अनुसार, कोई लोकसेवक किसी न्याय कार्यवाही में झूठी रिपोर्ट बेईमानीपूर्ण आशय से देता है तो उसे 7 वर्ष की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 261 के अनुसार, लोकसेवक ने किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर रखा है और उसकी लापरवाही से उसकी अभिरक्षा से वह भाग जाता है तो लोकसेवक को 2वर्ष की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।