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धारा 164 के अनुसार, इसमें बताया गया है कि किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को किसी पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट या अन्य सूचना पर यह ज्ञात हो कि उसके अधिकार क्षेत्र के किसी भूमि या जल पर विवाद के कारण परिशांति भंग होने की आशंका है या संभावना है। यानी उस जल या भूमि के लिए दो पक्षों के मध्य मारपीट/मारकाट होने की संभावना है तो कार्यपालक मजिस्ट्रेट या अन्य अधिकृत मजिस्ट्रेट सभी पक्षों को एक नोटिस जारी करेगा कि आप भूमि या जल के कब्जे के संबंध में अपने-अपने साक्ष्य प्रस्तुत करें।
उसके बाद, नोटिस की तामील होने के बाद संबंधित कार्यपालक मजिस्ट्रेट दोनों पक्षों को सुनेगा, साक्ष्य लेगा, गौर करेगा और उसके बाद तय करेगा कि इस संपत्ति पर किस व्यक्ति का कब्जा कानूनी रूप से है या नहीं है। जिसका कब्जा साबित होता है, उसे कार्यपालक मजिस्ट्रेट या अधिकृत मजिस्ट्रेट द्वारा कब्जा घोषित कर दिया जाता है। यहां उल्लेखनीय है कि इस धारा में भूमि शब्द के अंतर्गत कोई निर्माण, घर, फसल आदि शामिल है।इस धारा में कब्जे के बारे में विवाद तय होता है, न कि मालिकाना हक के बारे में।
अगर किसी व्यक्ति ने भूमि या अचल संपत्ति पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया है तो मजिस्ट्रेट यह तय करेगा कि उसे प्रार्थना पत्र प्राप्त होने के 60दिन के पूर्व तक किसका कब्जा था, मजिस्ट्रेट उसे ही कब्जा सौंपेगा। यानि अगर कोई जबरदस्ती कब्जा कर लेता है तो मजिस्ट्रेट उस कब्जे को हटाने का आदेश दे देगा। और जिसका पहले कब्जा था उसे कब्जा सौंप देगा।
धारा 165 के अनुसार, अगर कार्यपालक मजिस्ट्रेट को उपरोक्त संपत्ति के संबंध में यह समाधान होता है कि मामला आपातकालीन परिस्थिति का है और परिशांति भंग होने की पूरी संभावना है, तो वह उस विवादित संपत्ति के सम्बंध में कुर्की का आदेश जारी कर, अपने अधिकार में लेकर और निर्णय नहीं होने तक किसी व्यक्ति को उस संपत्ति का रिसीवर नियुक्त कर देगा। रिसीवर नियुक्त होने के बाद रिसीवर व्यक्ति उस संपत्ति या विवादित विषय वस्तु को अपने कब्जे में ले लेगा और उस संपत्ति के देखभाल के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करेगा।
निर्णय होने के बाद न्यायालय के आदेशानुसार जिस व्यक्ति के पक्ष में कब्जा साबित होता है, रिसीवर उसे कब्जा सम्भला देगा।
धारा 165 एक आपातकालीन परिस्थिति में लागू होती है। और इसी धारा के अंतर्गत संपत्ति पर रिसीवर नियुक्त किया जाता है।
जहां धारा 164 में कब्जे के संबंध में विवाद होने पर परिशांति भंग होने की संभावना होती है। और कब्जे के सम्बंध में न्यायालय द्वारा मालिकाना हक तय नहीं किया जाकर, कब्जा तय किया जाता है।
धारा 166 के अनुसार, जहाँ किसी भूमि या जल के उपयोग के संबंध में अधिकारों को लेकर परिशांति भंग होने की संभावना होती है तो धारा 164 में बताई गई प्रक्रिया के अनुसार पक्षकारों के अधिकारों की घोषणा होती है।
धारा 167 के अनुसार, स्थानीय जांच की आवश्यकता होती है तो मजिस्ट्रेट जांच के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकती है। उस रिपोर्ट को साक्ष्य में पढ़ा जाएगा। और उस रिपोर्ट के संबंध में विचार किया जाएगा।