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मोमासर में करोड़ों के प्लॉट घोटाले पर प्रशासन की सख्ती, एडीएम ने 19 फर्जी पट्टे किए निरस्त, ग्राम विकास अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध, पढ़े पूरी खबर फ़ोटो सहित

By Next Team Writer

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NEXT 23 जनवरी, 2025। करोड़ों रुपये की पंचायत की भूमि को व्यक्तिगत स्वार्थों को लेकर अपने नजदीकियों के नाम कर नियमों को धत्ता बताने वालों पर सरकार और प्रशासन द्वारा सख्ती बरती गई और सभी 19 पट्टों को निरस्त करके भूमाफियों को सख्त सन्देश दिया गया है। क्षेत्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत मोमासर में वर्ष 2009 में हुए करोड़ों रुपये के प्लॉट घोटाले का खुलासा हुआ है। एडीएम दुलीचंद मीणा ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए 19 फर्जी पट्टों को निरस्त कर दिया।

सीनियर स्कूल के पास की जगह

बाजार भाव 15करोड़, नजदीकियों पर कृपा
इन पट्टों को मुख्य बाजार सहित खाली पड़ी भूमि पर बनाया गया था, जिनके दस्तावेज़ नियमानुसार तैयार नहीं किए गए थे। जांच में पाया गया कि सभी पट्टे तत्कालीन सरपंच द्वारा अपने नजदीकियों के नाम पर जारी किए गए थे। इनकी बाजार कीमत करीब 15 करोड़ रुपये आंकी गई है।

कुएं के पास गाड़ियां धोने की सार्वजनिक जगह

तात्कालीन ग्राम विकास अधिकारी को भी मिला नोटिस
इसके साथ ही बड़े हैरान कर देने वाली बात है कि तात्कालीन सरपंच द्वारा अपने करीबियों को पट्टे जारी किए जाने में नियमों को धत्ता बताया गया तो वहीं सरकारी नुमाईंदे तात्कालीन ग्राम विकास अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध रही और विडिओ परमेश्वर लाल राजपुरोहित द्वारा बिना नियमों की अनुपालना के पट्टे जारी कर दिए।
इस कृत्य के विरुद्ध शिक़ायत होने के बाद एसीबी द्वारा उन्हें 16सीसी का नोटिस भी दिया गया था। वर्तमान में ये रिटायर हो चुके हैं। सुभाष कमलिया ने बताया कि अब तात्कालीन ग्राम विकास अधिकारी के विरुद्ध भी हम उच्चाधिकारियों तक जाएंगे।

विश्राम गृह के आगे की जगह

मुख्य अनियमितताएं
व्यावसायिक पट्टों को रिहायशी दिखाया गया।
बिना आपत्ति नोटिस जारी किए पट्टे बनाए गए।
कब्जा साबित करने के लिए 10 रुपये के स्टांप पर शपथ पत्र लगाया गया।
सभी 19 स्टांप एक ही व्यक्ति के नाम, एक ही दिन खरीदे गए।
पट्टों में गवाह के रूप में सरपंच के दो नजदीकियों के नाम पाए गए।
ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में 20 अगस्त 2009 का कोई उल्लेख नहीं मिला।
पट्टे 20 अगस्त, 2009 को जारी हुए जबकि शपथ पत्र के स्टाम्प पर 15 मई, 2012 अंकित है।

ऐसी जगह के पट्टे बने जहां से कुछ दरवाजे बंद

पुलिस चौकी के पीछे के दरवाजे के आगे बना पट्टा

पट्टे बनाते वक्त आसा पासा का ध्यान भी नहीं रखा गया। कुछ जगहों के पट्टे इस रूप में बनाए गए, जिनके बनने से पहले से बने भवनों के रास्ते भी अवरुद्ध हो जाते।


फर्जी पट्टे किनके नाम से बनाए गए
गोपालराम खेताराम गोदारा, लूणाराम खेताराम गोदारा, बीरबलराम लूणाराम गोदारा, मन्नीराम बेगाराम गोदारा, हुणताराम मंगलाराम गोदारा, चनणाराम रेवंतराम गोदारा, सुगनाराम हरखाराम गोदारा, प्रभुराम लूणराम गोदारा, सांवरमल भीखाराम गोदारा, केसराराम हिम्मताराम गोदारा, बाबूलाल मोटाराम सारण, किसनलाल पन्नाराम सारण, राजूराम नारायणराम सऊ, गोपालराम खेताराम गोदारा, जगदीश रामेश्वर लाल गोदारा, ओमप्रकाश दुलाराम शर्मा, ज्ञानीराम पन्नाराम सुथार, सांवरमल हीराराम खटीक और खुमाणाराम सुरजाराम सुथार के नाम पर बनाए गए पट्टों को निरस्त किया गया।
न्याय की उम्मीद
एडवोकेट करणसिंह तंवर ने बताया कि दानाराम धन्नाराम जाट और भंवरलाल पूर्णाराम जाट की शिकायत पर एडीएम कोर्ट ने यह निर्णय दिया। अब इस फैसले को पंचायती राज विभाग में भेजकर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि इस फैसले से पंचायतों में हो रही अनियमितताओं पर लगाम लगेगी।

Next Team Writer

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