NEXT 26 जनवरी, 2025। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश जयपाल जाणी की अदालत ने शुक्रवार को एक लंबित भूमि विवाद में महत्त्वपूर्ण फैसला सुनाया। और विक्रय पत्र निरस्त किया। न्यायालय ने अपने निर्णय में विधि के सिद्धांत का यह भी उल्लेख किया कि क्रेता सावधान रहो।
विक्रय पत्र को निरस्त करने का प्रकरण:
वादी सुमेरमल डागा ने अपने अधिवक्ता मोहनलाल सोनी के माध्यम से एक दावा विधि विरुद्ध किये गए विक्रय पत्र को निरस्त करने बाबत न्यायालय में पेश किया था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी मेघराज डागा के मुख़्तार आम ओमप्रकाश व्यास ने संजू देवी पत्नी पवन कुमार मोदी निवासी मोमासर बास श्रीडूंगरगढ़ के पक्ष में जो भूमि का विक्रय किया है वह विधि विरूद्ध है।
वादी द्वारा वादपत्र में लगाए गए आरोपों के अनुसार मेघराज ने विवादित भूखण्ड को मौखिक हिस्से पाँति में आई भूमि बताकर विक्रय किया है। जो विक्रय पत्र अवैध और शून्य है। वादपत्र के अनुसार, मोमासर बास में 2436 दरगज भूमि का पट्टा मानिकचंद व उसके भाई नेमीचंद के नाम से जारी किया गया था। सन 1968 में नेमचंद डागा के पुत्र गुलाबचंद ने अपने हिस्से की 1218दरगज भूमि हरिसिंह को विक्रय कर दी। इस प्रकार जो शेष भूमि रही, वह भूमि नेमीचंद के भाई मानिकचंद की रही। परन्तु सन 2006 में मेघराज डागा ने अपने आपको नेमीचंद का परपौत्र बताते हुए उक्त भूखण्ड को अपने पैतृक भूमि को अपने मौखिक हिस्से पाँति में आई भूमि बताकर, 1218वर्गफुट भूमि को संजुदेवी पत्नी पवनकुमार मोदी निवासी श्रीडूंगरगढ़ को जरिये रजिस्ट्रर्ड विक्रय पत्र विक्रय कर दी।
एडवोकेट मोहनलाल सोनी की सहयोगी एडवोकेट दीपिका करनाणी ने बताया कि उक्त संजू देवी मोदी के पक्ष में किये गए रजिस्ट्रर्ड विक्रय पत्र को न्यायालय में निरस्त करने हेतु सुमेरमल डागा की तरफ से एक दावा प्रस्तुत किया गया। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश जयपाल जाणी ने दोनों पक्षों को सुनकर निर्णय पारित किया और संजू देवी मोदी के पक्ष में किये गए विक्रय पत्र को निरस्त कर दिया। और उपपंजीयक श्रीडूंगरगढ़ को आदेश दिया कि उक्त संजू देवी मोदी के पक्ष में किये गए विक्रय पत्र को निरस्तीकरण का नोट अंकित करे। साथ ही, खरीददार संजू देवी को स्थायी निषेधाज्ञा से पाबंद किया गया कि वह खरीदशुदा भूमि में प्रवेश न करे।
वादी की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मोहनलाल सोनी ने और सहयोगी एडवोकेट दीपिका करनाणी ने की।
NEXT यह आग्रह करना चाहता है कि आमजन जब भी कोई अचल संपत्ति खरीदे तो यह जरूर ध्यान दें कि विक्रेता को अचल संपत्ति विक्रय करने का पूर्ण अधिकार है या नहीं। अगर, कोई व्यक्ति मौखिक हिस्सा पाँति का कहकर अचल संपत्ति विक्रय करे तो ऐसी अचल संपत्ति को क्रय करने से बचे ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो और ना ही विक्रय पत्र निरस्त हो।