
एफआईआर में दर्ज तथ्यों के अंतर्गत पुलिस जांच करेगी। गवाहों से पूछताछ करेगी और घटनास्थल का निरीक्षण करेगी। जब पुलिस गवाहों के बयान लेती है तब धारा 181 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पुलिस द्वारा लिए गए बयानों में पुलिस द्वारा हस्ताक्षर नहीं करवाये जाएंगे।
जब पुलिस तफ्तीश करती है तब पुलिस को लगता है कि एफआईआर में वर्णित तथ्य सही है तो वह एक चार्जशीट अभियुक्त के विरुद्ध तैयार करेगी। और वह चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत कर देगी।
एफआईआर में तथ्यों की जांच की जाती है। अगर तथ्य सत्य नहीं पाए जाते हैं तो पुलिस फाइनल रिपोर्ट (FR) कोर्ट में प्रस्तुत कर देगी और कोई भी अपराध घटित नहीं होना बताएगी।
पुलिस तफ्तीश करते वक्त पाती है कि कोई अपराध ऐसा घटित हुआ है जो गैर जमानती है, तो ऐसे में पुलिस द्वारा उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है और कोर्ट में पेश किया जाएगा।
तफ्तीश के दौरान जमानती अपराध होना पाए जाने पर पुलिस थाने में ही जमानत ले सकती है। और उस व्यक्ति को कोर्ट में हाजिर होने की तारीख बता देगी।
इन सभी में पुलिस अधिकारी द्वारा निष्पक्ष और सही तथ्यों सहित जानकारी/तफ्तीश की जानी आवश्यक है।