
दैनिक जीवन में किसी भी शुभ कार्य के लिए मूहुर्त विज्ञान का विशेष महत्त्व माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य विशेष और श्रेष्ठ फलदायक माना गया है तो बिना मुहूर्त में किया गया कार्य अशुभकारक।
किसी भी कार्य का शुभमुहूर्त पंचांग की गणनाओं पर ही आधारित होता है। पंचांग में नित्य एक ऐसा अशुभ समय भी आता है जिसे हम राहुकाल के नाम से जानते हैं। शुभ कार्यों में राहुकाल के समय को निषेध माना गया है। यह राहुकाल कब-कब आता है? और क्या देश के सभी स्थानों पर राहुकाल का समय निषेध है? आईए जानते हैं क्षेत्र के प्रसिद्ध ज्योतिषी के साथ।
क्षेत्र के श्री गणेश ज्योतिष कार्यालय के प्रसिद्ध ज्योतिषी राजगुरु पंडित देवीलाल उपाध्याय एवं श्री ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय के भूतपूर्व सहायक आचार्य रहे राजगुरु पंडित रामदेव उपाध्याय ने बताया कि निम्न दिनों में निम्न समय पर राहुकाल का समय रहता है।
रविवार – सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
सोमवार- प्रातः 7:30 से 9:00 बजे तक
मंगलवार- सायं 3:00 से 4:30 बजे तक
बुधवार- मध्याह्न 12.00 से 1:30 बजे तक
गुरुवार- दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक
शुक्रवार- प्रातः 10:30 से 12:00 बजे तक
शनिवार- प्रातः 9:00 से 10:30 बजे तक
किंतु, यह राहुकाल भारत के दक्षिणी संभाग मद्रास (चेन्नई), आंध्रप्रदेश, केरल, कर्नाटक, रामेश्वरम्, गोवा, कन्याकुमारी आदि में ही प्रभावी रहता है। उत्तर भारत में राहुकाल प्रभावी नहीं होने के कारण राजस्थान सहित उत्तर भारत के सभी राज्यों में राहुकाल के समय को त्यागने की आवश्यकता नहीं है।
अधिक जानकारी के लिए आप राजगुरु पंडित देवीलाल उपाध्याय और रामदेव उपाध्याय (ज्योतिष विद्) से इन नंबरों पर सम्पर्क कर सकते हैं।
9414429246; 9829660721