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प्रगतिशील किसान मांगीलाल स्वामी की अनूठी पहल: चिया सीड और अमेरिकन केसर की जैविक खेती से लाखों की कमाई

By Next Team Writer

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NEXT 7 फरवरी, 2025 श्रीडूंगरगढ़। NEXT विशेष। बदलते दौर में कृषि को लाभकारी बनाने के लिए किसान लगातार नई तकनीकों और फसलों को अपना रहे हैं। इसी कड़ी में राजस्थान के श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के सूडसर निवासी प्रगतिशील किसान मांगीलाल स्वामी ने चिया सीड और अमेरिकन केसर की खेती कर एक नई मिसाल पेश की है। सिर्फ 10 बीघा जमीन पर ऑर्गेनिक खेती कर 15 लाख रुपये तक की आय की उम्मीद कर रहे हैं।

चिया

परंपरागत खेती से हटकर नवाचार की ओर कदम
इंजीनियर की पढ़ाई पूरी कर चुके मांगीलाल स्वामी बताते हैं कि उन्हें यह विचार मध्यप्रदेश के एक किसान से मिला। उन्होंने वहां जाकर ट्रेनिंग ली और उनके मार्गदर्शन में इस खेती की शुरुआत की। उन्होंने अक्टूबर में 5 बीघा में चिया सीड और 5 बीघा में अमेरिकन केसर बोया, जो रबी की फसलें हैं।
कम लागत, ज्यादा मुनाफे का मॉडल
अब तक इस खेती पर केवल 20,000 रुपये तक का खर्च हुआ है, जबकि फसल तैयार होने पर करीब 15 लाख रुपये तक की कमाई होने की संभावना है। यह खेती कम लागत और अधिक मुनाफे का बेहतरीन उदाहरण बन गई है।

कुसुम (अमेरिकन केसर)

पानी की जरूरत और पशु सुरक्षा की विशेषता
मांगीलाल स्वामी बताते हैं कि अमेरिकन केसर को बहुत कम पानी की जरूरत होती है, जबकि चिया सीड में पानी की अधिक आवश्यकता होती है। इन दोनों फसलों की एक और बड़ी खासियत यह है कि इन्हें पशु नहीं खाते, जिससे किसानों को नुकसान नहीं होता।
किसानों के लिए सीख: क्यों अपनाएं यह फसलें?
जैविक खेती से अधिक मांग: बिना रसायनों के उगाई गई फसल की बाजार में ज्यादा मांग रहती है।
कम निवेश, अधिक मुनाफा: पारंपरिक फसलों की तुलना में इसमें कम लागत में ज्यादा लाभ संभव है।
जल संरक्षण: अमेरिकन केसर जैसी फसलें कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती हैं।
बाजार में ऊंचे दाम: चिया सीड और अमेरिकन केसर के बीज और फूल दोनों की अच्छी कीमत मिलती है।
पशु सुरक्षित फसलें: ये फसलें पशु नहीं खाते, जिससे किसानों को नुकसान नहीं होता।

औषधिय गुणों से युक्त फसल, कोलेस्ट्रॉल रोधी

दोनों ही फसल औषधिगुणों से युक्त है और पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक है। जिसमें किसान को कम लागत में अधिक मुनाफा होता है। कुसुम की खेती सामान्यतः 5 डिग्री सेल्सियस तापमान से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान के मध्य तापमान वाले क्षेत्र व 5.5 से 7.5 PH मध्यम काली मिट्टी में चार से पांच सिंचाई में आसानी से उगाया जा सकता है।जिसका बिजान मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तक किया जाता है। प्रति बीघा 8 किलो बीज सिडल द्वारा डाला जाता है।
वहीं चिया सीडस को 5 डिग्री सेल्सियस तापमान से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान के मध्य रबी व खरीफ की दोनों फसलों में लगाया जा सकता है। 6.5 से 8.5 PH वाली किसी भी प्रकार कि मिट्टी या अधिक उपज के लिए दोमट मिट्टी में अक्टूबर के शुरुआत में बिजान कर पांच से छह सिंचाई में 135 से 145 दिनों के मध्य पककर तैयार हो जाती है।


यह मूल रूप से यूरोपीयन देशों की तिलहन फसल है जिसका इन दिनों मांग बढ़ने के कारण मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान में कुछ चुनिंदा स्थानों पर पिछले दो सालों से प्रायोगिक तौर खेती की शुरुआत हुई है।
कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण करने के लिए हृदय रोगी इसके तेल का सेवन कर रहे हैं। और प्रोटीन के रूप में स्नेक्स, बिस्किट, लड्डू के रूप में उपयोग में लिया जाता है। इसको सुपर फुड के रूप में जाना जाता है।
वहीं केसर का उपयोग चाय, मसाले, मिठाईयां, सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री बनाने में बहुतायत से उपयोग किया जा रहा है। जिसके कारण बाजार में लगातार मांग बढ़ रही है। इसकी खेती करके किसान अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं।

किसानों के लिए प्रेरणा बने मांगीलाल स्वामी
मांगीलाल स्वामी की यह अनोखी पहल अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है। मांगीलाल ने दावा किया है कि वो बीकानेर के प्रथम किसान है जिसने यह खेती की है। मांगीलाल ने कहा कि  यदि किसान नई तकनीक और लाभकारी फसलों को अपनाएं, तो वे कम जमीन में भी अच्छी कमाई कर सकते हैं। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर सही योजना और नवाचार के साथ खेती की जाए, तो यह भी एक बड़ा और लाभकारी व्यवसाय बन सकता है।

Next Team Writer

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