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मेरा शहर, मुझे सबसे प्यारा, एक अभिव्यक्ति

By Next Team Writer

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NEXT के एक युवा पाठक द्वारा अपने श्रीडूंगरगढ़ कस्बे के लिए मन में उपजे भावों को काव्य रूप में पिरोने की बेहतरीन कोशिश की गई है। पाठक के प्रयास और अपने कस्बे के प्रति लगाव को समर्पित कविता यहां प्रस्तुत है।

रेत के कण में बसी कहानी,
वीरता की यह अमिट निशानी।
तपती धूप भी हार यहाँ है,
संघर्षों की यह धरती महान है।

भैरूं बाबा का आशीर्वाद यहाँ,
लखासर की है सौगात जहाँ।
मंगलमय यह भूमि निराली,
शूरवीरों की साख सँभाली।

डूंगर सिंह ने रचा इतिहास,
बसाया यह शहर बड़ा खास।
रेत में भी खिलते सपने,
संघर्षों में बढ़ते अपने।

पर्यावरण का रंग सुहाना,
जल का संग भी है निराला।
थार की माटी, प्रेम समाए,
हर मन को यह पास बुलाए।

बरसातों में धरती भीगती,
सपनों की किरणें सींचती।
हरियाली के रंग बिखेरे,
रेत संग जीवन सँवारे।

साहित्य सृजन की अलख जगाएँ,
वृक्ष लगाएँ, छाँव लुटाएँ।
इस धरती का मान बढ़ाएँ,
अपने कर्म की राह चलाएँ।

गर्मी में भी जल की धारा,
श्री डूंगरगढ़ अनुपम प्यारा।
वीर भूमि का गौरव न्यारा,
मेरा शहर, मुझे सबसे प्यारा।

Next Team Writer

हम, कमल और नारायण, हमें खुशी है कि हम NEXT टीम का हिस्सा है। यहाँ पर हमें कंटेंट मैनेजमेंट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हमारा उद्देश्य आपको हर विषय पर सटीक और विस्तृत जानकारी प्रदान करना है। यदि आपको किसी भी विषय पर जानकारी की आवश्यकता हो या कोई सवाल हो, तो आप बेझिझक हमसे संपर्क कर सकते हैं। हमारा प्रयास है कि आपको पूरी और सही जानकारी मिले।

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