
हम इस महत्त्वपूर्ण बिंदु की शुरूआत एक उदाहरण से करते हैं ताकि वास्तुस्थिति समझ में आ सके।
उदाहरण, एक पति- पत्नी और एक उनकी संतान है। किसी कारणवश पति की मृत्यु हो जाती है। तो पीछे पत्नी और संतान रह जाती है। चूंकि, पत्नी दूसरी शादी करना चाहती है। और पत्नी ने दूसरी शादी अन्य व्यक्ति से कर ली। उसकी संतान भी अपनी माँ के साथ यानी अपने सौतेले पिता के पास रहने लग जाता है।
अब वह पति और पत्नी चाहते हैं कि इस संतान के पिता का नाम बदल दिया जाए और दूसरी शादी जो पत्नी ने की है, उस पति का नाम पिता के रुप में दर्ज करवा दिया जाए। दोनों सहमत है। दोनों के परिवार भी सहमत है। पत्नी ने अपने दस्तावेजों में पहले पति के नाम की जगह दूसरे वाले पति का नाम दर्ज करवा लिया है।
अब संतान के दस्तावेजों में पिता का नाम बदल दिए जाने की बात है। तो क्या यह संभव है?
पत्नी, पति के गुजरने पर दूसरी शादी कानूनन कर लेती है। एक संतान का प्राकृतिक पिता जो होता है और वह मर जाता है तो उसकी जगह कोई भी व्यक्ति उसकी जगह पिता नहीं बन सकता। उस बच्चे के पिता का नाम कानूनन नहीं बदला जा सकता। चाहे मां भले ही शादी कर लेवें।
सौतेला पिता सिर्फ उस बच्चे का गार्जियन बन सकता है। वह उसे गोद ले सकता है। परन्तु इसके बाद भी उसका नाम दत्तक पिता के रूप में ही लिखा जाएगा।