NEXT 12 दिसम्बर 2024 | जैनाचार्य आचार्य महाप्रज्ञ के सापेक्ष अर्थशास्त्र का आधार नैतिकता, अहिंसा और सम्यक दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्र केवल धन के उत्पादन, संग्रह और उपभोग का विज्ञान नहीं है, बल्कि इसे नैतिकता और मानवीय मूल्यों के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। उनके अनुसार, यदि अर्थव्यवस्था का उद्देश्य केवल भौतिक लाभ तक सीमित होगा, तो यह असमानता, हिंसा, और पर्यावरणीय असंतुलन को बढ़ावा देगा।
आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ती असमानता, गरीबी, और पर्यावरणीय संकट को देखते हुए आचार्य महाप्रज्ञ का सापेक्ष अर्थशास्त्र अत्यंत प्रासंगिक है।
वर्तमान समय में, धन का बड़ा हिस्सा कुछ व्यक्तियों और संस्थानों के पास सीमित है, जबकि एक बड़ा वर्ग बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहा है। आचार्य महाप्रज्ञ का “न्यायपूर्ण वितरण” का सिद्धांत इन असमानताओं को कम करने में सहायक हो सकता है।

डॉ. वंदना कुण्डलिया बरड़िया
सहायक प्रोफेसर, जेवीबीआई
डायरेक्टर: शब्द (A complete house of customized writing & designing)
सहमंत्री: अखिल भारतीय तेरापन्थ महिला मंडल
Email- [email protected]
Mobile- +919828729792