NEXT 8 मार्च, 2025 श्रीडूंगरगढ़। समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ एक मिसाल कायम करते हुए श्रीडूंगरगढ़ कस्बे के मंगलचंद प्रजापत (घोड़ेला) ने अपने पुत्र अक्षित प्रजापत की शादी बिना किसी दहेज के पूरी सादगी से संपन्न कराई। यह विवाह सरदारशहर निवासी बाबुलाल प्रजापत (भोभरिया) की पुत्री शीतल के साथ हुआ, जिसमें केवल एक रुपये और नारियल के प्रतीकात्मक लेन-देन के साथ सात फेरे लिए गए।

सादगी और सामाजिक जागरूकता का अनूठा संगम
यह विवाह समाज के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आया, जहां बिना किसी तामझाम और दहेज की मांग के, केवल पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शादी संपन्न हुई। अक्षित प्रजापत, जो शिक्षा में स्नातक हैं, अपने पिता के दिल्ली में स्थापित गारमेंट व्यवसाय को संभालते हैं, जबकि शीतल प्रजापत परास्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं। दोनों परिवारों ने मिलकर यह संदेश दिया कि विवाह किसी भी प्रकार की आर्थिक लेन-देन पर नहीं, बल्कि आपसी प्रेम, सम्मान और समानता पर आधारित होना चाहिए।
समाज को दिया मजबूत संदेश
मंगलचंद प्रजापत ने अपने बेटे की शादी में बिना दहेज सिर्फ एक रुपये और नारियल लेकर यह सिद्ध कर दिया कि “दुल्हन ही दहेज है” की अवधारणा ही सही मायनों में विवाह की गरिमा को परिभाषित करती है। इस विवाह समारोह ने न केवल दहेज जैसी कुप्रथा को नकारा, बल्कि समाज में एक नई सोच को बढ़ावा दिया, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होकर इस दिशा में आगे बढ़ सकें।
बिना दहेज विवाह: बदलते समाज की पहचान
आज के दौर में जहां दहेज प्रथा समाज के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है, वहीं इस विवाह ने एक नई मिसाल पेश की है। यह सिद्ध करता है कि अगर समाज चाहे तो बिना दहेज भी विवाह को सादगी और गरिमा के साथ संपन्न किया जा सकता है।
मंगलचंद प्रजापत और बाबुलाल प्रजापत के इस निर्णय की क्षेत्र में खूब सराहना हो रही है। यह विवाह उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो दहेज को विवाह का अनिवार्य हिस्सा मानते हैं। इस पहल से समाज में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद की जा रही है।