NEXT 30 अप्रैल, 2025। क्षेत्र में अक्षय तृतीया (आखातीज) का पर्व पारंपरिक उल्लास और धार्मिक आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कस्बे सहित ग्रामीण अंचल में घर-घर खिचड़ा बनाया गया। बाजरा, मोठ, मूंग की खोड़ी कूटकर खिचड़ा और इमली का घोल (ईमलानी) तैयार कर प्रसादी के रूप में ग्रहण किया गया।

परंपरा अनुसार हर घर में नए मटके की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की गई। किसानों ने अपने कृषि यंत्रों का विधिपूर्वक पूजन किया और खेतों में हळोतिया कर आगामी कृषि सत्र के लिए शुभ संकेत प्राप्त करने की परंपरा निभाई।

खेतों में हळोतिया और जमाने के शगुन की परंपरा
अलसुबह किसान खेतों में पहुंचे और पशु-पक्षियों के व्यवहार व ध्वनियों से जमाने का शगुन लिया। सिंचित क्षेत्र के किसानों ने मूंगफली का बीजारोपण कर शुभारंभ किया, जबकि बारानी खेती करने वाले किसानों ने वन्य जीवों जैसे तीतर, मोर, नीलगाय और गौवंश के व्यवहार से वर्षा और फसल के अच्छे संकेत माने।

सातलेरा गांव के वरिष्ठ किसान मालाराम तावनियां ने बताया कि खेतों में मस्त होकर बैठे गौवंश और वन्य जीवों की आवाजों से इस बार अच्छे जमाने का संकेत मिल रहा है। बिग्गा गांव के किसान बनवारीलाल शर्मा और तोलाराम जाखड़ ने भी बताया कि अलसुबह खेतों में तीतर-मोर की मधुर आवाजें सुनाई दीं, जो शुभ मानी जाती हैं। पंडित सत्यनारायण तावनियां ने भी खेतों में जाकर शगुन लिया और अच्छे मानसून की संभावना जताई।

शुभ कार्यों के लिए अबूझ सावा
अक्षय तृतीया को अबूझ सावा माना जाता है, इसलिए क्षेत्र में विवाह, गृह प्रवेश, प्रतिष्ठान आरंभ, भवन निर्माण आदि के अनेक शुभ कार्यों का आयोजन हुआ। बाजारों में चहल-पहल जारी है।



