NEXT 30 अप्रैल, 2025। केंद्र सरकार ने देश में जाति जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह जनगणना मूल जनगणना प्रक्रिया के साथ ही कराई जाएगी। इसकी शुरुआत इस साल सितंबर में होने की संभावना है, जबकि अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक आने की उम्मीद है।
भारत में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। सामान्यतः यह हर 10 साल में होती है, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते 2021 में होने वाली जनगणना स्थगित कर दी गई थी।
जातियों की गिनती के लिए कानून में होगा संशोधन
वर्तमान जनगणना अधिनियम 1948 में केवल अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की गिनती का प्रावधान है। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की जातिगत गणना के लिए इस कानून में संशोधन किया जाएगा। सरकार के अनुसार, इससे OBC की लगभग 2,650 जातियों का आंकड़ा सामने आएगा।
2011 की जनगणना के अनुसार, देश में 1,270 एससी और 748 एसटी जातियाँ चिन्हित की गई थीं। तब एससी की आबादी 16.6% और एसटी की 8.6% दर्ज की गई थी।
2011 में हुई थी सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना, आंकड़े नहीं हुए सार्वजनिक
मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाई गई थी। इस सर्वेक्षण को ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने संयुक्त रूप से कराया था। हालांकि, जातिगत आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। केवल एससी-एसटी हाउसहोल्ड के आंकड़े ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किए गए।
राजनीतिक दृष्टिकोण और चुनावी संदर्भ
कांग्रेस समेत विपक्षी दल लंबे समय से जाति जनगणना की मांग करते रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2023 में इसकी जोरदार पैरवी की थी और कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त 2024 में कहा था कि जनगणना उचित समय पर होगी और संभवतः 2025 में शुरू की जाएगी।
बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिससे यह फैसला राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है।