NEXT 11 मई, 2025 श्रीडूंगरगढ़। राजस्थान में मायरे की परंपरा को नई ऊर्जा देते हुए श्रीडूंगरगढ़ के युवाओं ने एक बेटी की शादी में मिसाल कायम की। कस्बे के मोमासर बास निवासी अमित वाल्मीकि ने मोहल्ले की निरमा वाल्मीकि की आर्थिक स्थिति को लेकर जानकारी साझा की, जिसके बाद समाज के युवाओं और शिक्षकों ने आगे बढ़कर मदद का हाथ बढ़ाया।

निरमा की मां का वर्षों पहले निधन हो चुका था और कुछ समय पहले ही उसके नानाजी का भी स्वर्गवास हो गया। वह अपने ननिहाल में रह रही थी और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। जैसे ही यह बात शिक्षाविद रमेश शर्मा को पता चली, उन्होंने विद्यालय के स्टाफ और अपने मित्रों को इस नेक कार्य के लिए प्रेरित किया।

विद्यालय की प्राचार्य विमला गुर्जर सहित महावीर प्रसाद सारस्वत, पवन गोयतान, मुरलीधर स्वामी, सीताराम जाट, श्रवण पूनियां, रामावतार शर्मा, डॉ. कन्हैयालाल सारस्वत (कृषि विभाग), घनश्याम सारस्वत, शिवप्रसाद तावणियाँ, हरिओम तावणियाँ, शूरवीर मोदी, मनोज कायल, प्रभुनाथ, जयचंद कायल, राजेश शर्मा, आईदान पारीक, कैलाश सारस्वत, एडवोकेट प्रवीण पालीवाल, रमेश तावणियाँ, राजेश सारस्वत, हरीराम तावणियाँ, हेमंत शर्मा, सतीश पारीक, रमेश राजपुरोहित, अशोक राजपूत, महावीर तावणियाँ सहित अनेक लोगों ने मायरे में भेंट दी।

मायरे में दिए गए यह सामान
महावीर प्रसाद सारस्वत ने बताया कि निरमा को डबल बेड, फ्रिज, एलईडी टीवी, कूलर, अलमारी, बड़ी संदूक, मिक्सर ग्राइंडर, कुर्सियां, टेबल, आयरन, गैस चूल्हा, प्रेशर कुकर, अन्य बर्तन और दुल्हन के वेष-भूषा के साथ 11 हजार रुपये नकद भेंट किए गए।

समाज सेवा की अनूठी मिसाल
इस पुनीत कार्य में शामिल सभी युवाओं ने मिलकर यह सिद्ध किया कि समाज में यदि सहयोग की भावना जीवित रहे तो किसी भी जरूरतमंद को अकेलेपन का अहसास नहीं होने दिया जा सकता।