
धारा 3 की उपधारा 1 (8) के अनुसार, कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के विरुद्ध जानबूझकर उसे तंग करने वाला क्रिमिनल या सिविल मुकदमा करेगा तो वह दण्ड का भागी होगा।
धारा 3 उपधारा 1 (9) के अनुसार कोई व्यक्ति किसी एससी/एसटी के सदस्य को क्षति पहुँचाने या उसे अपमानित करने के लिए उसके खिलाफ किसी लोकसेवक को झूठी या बनावटी जानकारी देगा तो वह दण्ड का भागी होगा।
धारा 3 की उपधारा 1 (10) के अनुसार, किसी सार्वजनिक स्थान में किसी एससी/एसटी के सदस्य को अपमानित करने के उद्देश्य से जातिसूचक गालियां निकालेगा, वह दण्ड का भागी होगा।
धारा 3 की उपधारा 1 (11) के अनुसार, किसी एससी/एसटी की महिला होने के कारण कोई उसका अनादर करेगा या लज्जाभंग करेगा वह दण्ड का भागी होगा।
धारा 3 की उपधारा 1 (13) के अनुसार तालाब, या जल के किसी स्रोत को जो आमतौर पर एससी/एसटी के सदस्य द्वारा उपयोग में लिया जा रहा है, उसे जानबूझकर खराब करना या दूषित करना या गंदा करना दण्डनीय अपराध है।
धारा 3 की उपधारा 1 (14) के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति एससी/एसटी के किसी व्यक्ति को सार्वजनिक मार्ग के अधिकार से वंचित करेगा या बाधा डालेगा, तो वह दंड का भागी होगा।
धारा 3 की उपधारा 1 (15) के अनुसार, कोई व्यक्ति किसी एससी/एसटी के व्यक्ति को मकान, गांव या निवास स्थान छोड़ने को मजबूर करेगा या करवायेगा तो वह दण्ड का भागी होगा।
उपरोक्त प्रकार में सभी अपराधों में दोषी व्यक्ति को कम से कम 6माह अवधि के कारावास से जो 5 वर्ष तक के कारावास तक बढाया जा सकता है और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 3 की उपधारा 2 (1) के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी एससी/ एसटी व्यक्ति के विरुद्ध चल रहे आजीवन कारावास के मामले में झूठी गवाही देगा तो वह व्यक्ति मृत्यु दंड से दण्डनीय होगा।
धारा 3 की उपधारा 2 (4) के अनुसार, कोई व्यक्ति एससी/एसटी के व्यक्ति की संपत्ति/आवास को विस्फोटक पदार्थ/अग्नि द्वारा नुकसान पहुँचाता है तो वह आजीवन कारावास से दण्डित किया जा सकता है।