भारतीय हैं, तो आओ जानो भारत के संविधान को
एडवोकेट दीपिका सोनी

भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। इसके नागरिक मूल स्रोत है। भारत के संविधान में जो भी नीतियाँ बनाई गयी है, देश के नागरिकों के हित में तथा इसे केन्द्रित करते हुए बनायी है। वह नागरिक चाहे किसी भी धर्म, जाति, लिंग, निवास से सम्बंध रखता हो।
अनुच्छेद-15, समानता प्रदान करने वाला
संविधान का अनुच्छेद-15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध करता है। सरकार किसी भी नागरिक पर उपरोक्त आधार पर भेदभाव नहीं करेगा तथा किसी नागरिक का केवल धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर दुकानों, होटलों, सार्वजनिक भोजनालयों, मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश करने में प्रतिबंध नहीं होगा। तथा सार्वजनिक रूप से जनता के प्रयोग के लिए कुओं, तालाबों, स्नानघर, सड़कों आदि के उपयोग के लिए प्रतिबंध नहीं होगा। सरकार कुछ विशेष वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान कर सकती है।
अनुच्छेद-19 देता है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
इसी प्रकार संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) भारत के नागरिकों को बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है। जिसके अनुसार प्रत्येक नागरिक को बोलने एवं अपने विचारों को प्रकट करने की स्वतंत्रता है। यह स्वतंत्रता एक मूल अधिकार के रूप में नागरिकों को प्राप्त है। परन्तु कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की मानहानि दुर्भावनापूर्ण आशय से नही कर सकेगा तथा इस स्वतंत्रता के कारण देश की सुरक्षा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है या लोकहित एवं सदाचार आदि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है या भारत देश के विदेशी देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध प्रभावित होते हैं तो सरकार कानून बनाकर इन पर प्रतिबंध लगा सकती है।