बेहतर प्रदर्शन पर मिलेगा “श्रेष्ठ विद्यालय” प्रमाणपत्र, लगातार खराब नतीजों पर होगी कार्यवाही
NEXT 4 जून, 2025। राजस्थान के विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने अब सख्त रुख अपनाया है। संस्था प्रधानों और शिक्षकों की जवाबदेही तय करते हुए परीक्षा परिणामों के आधार पर नया परिपत्र जारी किया गया है, जो शैक्षणिक सत्र 2024-25 से प्रभावी होगा।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने बताया कि 18 अप्रैल 2016 के पुराने निर्देशों को संशोधित करते हुए 27 मई को नया परिपत्र जारी किया गया है। इसमें विद्यालयों के परीक्षा परिणाम के आधार पर संस्था प्रधानों और शिक्षकों को प्रोत्साहन और अनुशासन दोनों की नीति अपनाई गई है।
संस्था प्रधान के लिए निर्धारित हुए ये मानदंड:
- कक्षा 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षाओं में परिणाम 90% या उससे अधिक होने पर और कक्षा 5वीं व 8वीं में 90% या उससे अधिक छात्र ‘A’ ग्रेड प्राप्त करते हैं तो संस्था प्रधान को “श्रेष्ठ विद्यालय” प्रमाण पत्र मिलेगा।
- प्रमाणपत्र के लिए न्यूनतम 10 विद्यार्थियों का नामांकन अनिवार्य होगा।
- किसी एक परीक्षा में भी परिणाम तय मानक से कम रहा तो प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।
न्यून परिणाम पर कार्रवाई का प्रावधान:
- 12वीं में 60% से कम, 10वीं में 50% से कम और 5वीं/8वीं में 50% से अधिक ‘E’ ग्रेड होने पर परिणाम “न्यून” माना जाएगा।
- एक बार मानदंड से नीचे रहने पर लिखित चेतावनी और संभावित स्थानांतरण,
- लगातार दो वर्ष या पांच में से तीन वर्ष खराब परिणाम आने पर CCA नियम-17 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षकों के लिए ये होंगे परिणाम आधारित मानदंड:
- 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा में अध्यापन किए गए विषय में 90% या उससे अधिक परिणाम आने पर तथा
- 5वीं व 8वीं में 95% या उससे अधिक छात्र ‘A’ ग्रेड लाते हैं तो शिक्षक को “श्रेष्ठ परिणाम” प्रमाणपत्र मिलेगा।
- प्रमाणपत्र के लिए यहां भी कम से कम 10 छात्रों का नामांकन आवश्यक है।
न्यून परिणाम पर शिक्षकों के लिए कार्रवाई:
- 12वीं में अध्यापन विषय में 70% या उससे कम परिणाम,
- 10वीं में 60% या कम,
- 5वीं/8वीं में 40% या अधिक ‘E’ ग्रेड, ऐसी स्थिति में “न्यून” परिणाम माना जाएगा।
- एक बार न्यून परिणाम पर चेतावनी व स्थानांतरण,
- दो वर्ष लगातार या पांच में से तीन वर्ष खराब परिणाम पर अनुशासनात्मक कार्रवाई।