NEXT 7 जून, 2025। अब अपराधियों की कुंडली एक क्लिक पर सामने आ सकेगी। राजस्थान में इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) प्रोजेक्ट पर तेजी से काम किया जा रहा है। इस तकनीक के जरिए पुलिस, अदालत, जेल और फोरेंसिक विभागों को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जा रहा है, जिससे अपराधियों की जानकारी त्वरित और पारदर्शी ढंग से साझा हो सकेगी।
यह परियोजना केंद्र सरकार की ओर से लागू की जा रही है और इसकी निगरानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) कर रहा है। राज्य के सभी पुलिस स्टेशनों को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया जा रहा है, जिससे अपराधों की जांच और न्यायिक प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता आ सके।
‘एक डेटा – एक एंट्री’ से जुड़ेगा सिस्टम
ICJS प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। पहले चरण में आईटी सिस्टम विकसित किया गया, अब दूसरे चरण में ‘एक डेटा – एक एंट्री’ सिद्धांत पर काम हो रहा है। इससे पुलिस, कोर्ट, जेल और फोरेंसिक विभाग एक ही प्लेटफॉर्म पर डिजिटल रूप में अपराधी की पूरी जानकारी देख सकेंगे।
सभी थानों को मिल रहा हाईटेक सेटअप
राज्य के सभी थानों को अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिसमें शामिल हैं:
- डेस्कटॉप विद यूपीएस – 4 यूनिट
- सिंगल डिजिट स्कैनर – 6 यूनिट
- मोबाइल डेटा टर्मिनल (MTD) – 2 यूनिट
- मल्टी-फंक्शन प्रिंटर विद स्कैनर – 1 यूनिट
- वेब कैमरा – 4 यूनिट
- क्यूआर कोड रीडर – 1 यूनिट
- क्यूआर कोड प्रिंटर – 1 यूनिट
- फिंगरप्रिंट एनरोलमेंट डिवाइस – 1 यूनिट
प्रदेश के सभी जिलों से मांगी गई रिपोर्ट
राजस्थान स्टेट क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो ने सभी पुलिस रेंज आईजी, एसपी और आयुक्तालयों से साइट प्रिपरेशन रिपोर्ट मांगी है। ब्यूरो के महानिरीक्षक शरत कविराज ने निर्देश दिए हैं कि मौजूदा संसाधनों का मूल्यांकन कर आवश्यक तैयारियां प्राथमिकता से पूरी की जाएं।
ICJS कैसे करेगा काम?
ICJS तकनीक से सभी पुलिस थाने, जेल, फोरेंसिक टीम और अदालतें आपस में जुड़ सकेंगी। जैसे ही किसी आरोपी का रिकॉर्ड थाने में दर्ज होगा, वह स्वतः इस पोर्टल पर अपडेट हो जाएगा। इससे न्याय प्रक्रिया में तेजी आएगी और अनावश्यक देरी खत्म होगी।
अधिकारियों ने क्या कहा?
“यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिससे आपराधिक डेटा साझा कर अपराध रोकने में मदद मिल रही है। बीकानेर संभाग में इस पर कार्य प्रगति पर है।”
– ओमप्रकाश, पुलिस महानिरीक्षक, बीकानेर रेंज
“आईसीजेएस से हर अपराधी का डेटा एक प्लेटफॉर्म पर होगा। पुलिस, जेल और अदालतों को इससे राहत मिलेगी।”
– सुमन मालीवाल, अधीक्षक, केंद्रीय कारागार, बीकानेर