NEXT 15 जून, 2025। राज्य में पुलिस की कार्यप्रणाली में जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है। अब उर्दू-फारसी शब्दों की जगह शुद्ध हिन्दी शब्दों का इस्तेमाल किया जाएगा। गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर भेजने के निर्देश दिए हैं।
मुगल काल से चला आ रहा है चलन
राज्यमंत्री बेढ़म ने डीजी को लिखे पत्र में बताया कि पुलिस विभाग में उर्दू-फारसी शब्दों का प्रयोग मुगल शासन काल से चला आ रहा है। उस समय उर्दू-फारसी भाषा का ज्ञान आवश्यक माना जाता था। लेकिन वर्तमान में पुलिसकर्मी हिन्दी भाषा का अध्ययन करते हैं, ऐसे में उर्दू-फारसी शब्दों के प्रयोग से आमजन, परिवादी और यहां तक कि खुद पुलिसकर्मी भी भ्रमित हो जाते हैं। जिससे कई बार न्याय की प्रक्रिया में देरी हो जाती है।
पहले भी उठाया था मुद्दा
इस विषय को लेकर गृह विभाग ने पहले भी 30 सितंबर 2024 को पत्राचार किया था, जिसका हवाला इस बार के पत्र में भी दिया गया है। गृह राज्य मंत्री ने कहा है कि अब समय आ गया है कि पुलिस की भाषा आमजन की भाषा हो, ताकि जनता को कार्यवाही समझने में आसानी हो।
क्या होगा बदलाव?
अब पुलिस अनुसंधान पत्रावली, कार्यालय फार्म, सूचना पट्ट, एफआईआर सहित अन्य दस्तावेजों में ‘मुकर्रर, मुल्ज़िम, तफ्तीश, गवाह’ जैसे शब्दों के स्थान पर ‘निर्धारित, अभियुक्त, जांच, साक्ष्यदाता’ जैसे सरल हिन्दी शब्द प्रयोग में लाए जा सकते हैं।
निर्देश स्पष्ट: प्रस्ताव तैयार करें
बेढ़म ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए हैं कि इस विषय पर विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर सरकार को प्रस्तुत किया जाए, ताकि इसे लेकर सक्षम स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जा सके।