NEXT 1 सितम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। रिश्तेदार के भरोसे विदेश जाने का सपना देखने वाले एक युवक के साथ 3 लाख रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। पीड़ित ने न्यायालय में परिवाद दायर कर कार्रवाई की मांग की है।
ऐसे रचा गया ठगी का जाल
परिवादी चमन अली ने अदालत में बताया कि उनका भाई रहिश रजा रोजगार के लिए विदेश जाना चाहता था। इसी बीच उनका रिश्तेदार नफीस अहमद, निवासी सुजानगढ़ (चूरू), 15 दिसंबर 2024 को श्रीडूंगरगढ़ पहुंचा। उसने यूरोप, अजरबैजान, सिंगापुर आदि देशों की बड़ी कंपनियों में नौकरी दिलवाने का झांसा दिया।
नफीस की बातों पर विश्वास करते हुए रहिश रजा ने अपना पासपोर्ट उसे सौंप दिया। आरोपी ने कहा कि एक सप्ताह में वीजा आ जाएगा। इसके बाद किश्तों में ₹3 लाख आरोपी को दिए गए—
- 22 दिसंबर 2024: ₹25,000 फोनपे से
- 23 दिसंबर 2024: ₹25,000 फोनपे से
- 25 दिसंबर 2024: ₹50,000 फोनपे से
- 1 जनवरी 2025: ₹70,000 फोनपे से
- 1 जनवरी को नकद ₹50,000
- 11 अप्रैल 2025: नकद ₹80,000
इस तरह कुल ₹3,00,000 आरोपी को दे दिए गए।
फर्जी वीजा पर भेजा विदेश
1 जनवरी को आरोपी अजरबैजान का एग्रीमेंट लेटर लेकर आया और स्टोर कीपर की नौकरी व 850 डॉलर मासिक वेतन का भरोसा दिलाया। बाद में उसने कहा कि गलती हो गई है और अब असली वीजा अर्मेनिया का है। 12 अप्रैल 2025 को रहिश रजा को दिल्ली से अर्मेनिया की फ्लाइट पर भेज दिया गया।
वहां पहुंचने पर सच्चाई सामने आई। न तो बड़ी कंपनी थी, न ही स्टोर कीपर की नौकरी। केवल कुछ मजदूर एक ठेकेदार के पास काम कर रहे थे। रहने-खाने की भी सही व्यवस्था नहीं थी। असलियत ये थी कि रहिश को वर्क वीजा नहीं बल्कि टूरिस्ट वीजा पर भेजा गया, जिसकी वैधता केवल 4 महीने है।
धमकाकर और पैसे मांगे
20 जुलाई 2025 को जब रहिश ने नफीस से संपर्क किया तो उसने गाली-गलौज करते हुए कहा कि “मेरा तो मकसद ही तुम्हारे पैसे हड़पना था। कई लोगों को पहले भी ऐसे फंसाया है, कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”
इतना ही नहीं, आरोपी ने धमकी दी कि अगर रहिश को भारत वापस बुलाना है तो ₹2 लाख और देने होंगे।
अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाया
थक-हार कर पीड़ित ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्रीडूंगरगढ़ की अदालत में परिवाद दायर किया है। परिवादी का कहना है कि आरोपी ने फर्जी वीजा बनाकर लाखों रुपए ठगे हैं और उनके भाई को विदेश में फंसा दिया है। अदालत से न्याय की गुहार लगाई गई है।