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श्रीडूंगरगढ़ एडीजे कोर्ट का बड़ा फैसला: सिविल कोर्ट का फैसला रखा यथावत, किरायेदार की अपील खारिज, किरायेदार पुराने कब्जे के आधार पर नहीं बन सकता मालिक

By Next Team Writer

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NEXT 24 फरवरी, 2025। अब किरायेदार जबरदस्ती किसी भूखण्ड का मालिक नहीं बन सकता, फिर चाहे वह वर्षों से उस भूखण्ड पर कब्जा करके बैठा हो। ऐसा ही एक मामला श्रीडूंगरगढ़ कस्बे में देखने को मिला, जब एक किरायेदार ने जबरन मकान पर कब्जा कर लिया। जब प्रार्थी ने न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई तो न्यायालय ने प्रार्थी को न्याय दिया और किरायेदार को मकान खाली करने के आदेश दिए।

स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जयपाल जाणी ने किरायेदार भगवानाराम पुत्र राहुराम जाट निवासी बिग्गा बास श्रीडूंगरगढ़ की अपील खारिज की। वादी के अधिवक्ता मोहनलाल सोनी ने एक दावा नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष त्रिलोक शर्मा के पुत्र भँवरलाल शर्मा की तरफ से प्रतिवादी भगवानाराम को किरायेदार बताते हुए वादगत मकान जो रूपादेवी स्कूल के पास बिग्गा बास में स्थित है, से बेदखली का दावा प्रस्तुत किया। प्रतिवादी भगवानाराम ने अपने आपको किरायेदार नहीं मानकर, पुराना कब्जाधारी बताते हुए कहा कि ” मैं भँवरलाल का किरायेदार नहीं हूं, बल्कि पुराने कब्जे के आधार पर यहाँ काबिज चला आ रहा हूँ।”
न्यायालय सिविल न्यायाधीश श्रीडूंगरगढ़ ने दोनों पक्षों को सुनकर भंवरलाल शर्मा के पक्ष में एक डिक्री जारी की। जिसमें आदेश दिया कि प्रतिवादी भगवानाराम इस मकान को खाली करके कब्जा भँवरलाल शर्मा को सौंप देवें और बकाया किराया भी अदा करें।
उक्त डिक्री से अंसतुष्ट होकर भगवानाराम जाट ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीडूंगरगढ़ के न्यायालय में अपील प्रस्तुत की।
न्यायालय ने दोनों पक्षों की बात सुनकर भगवानाराम की अपील को सारहीन मानते हुए खारिज कर दिया। और सिविल न्यायालय की डिक्री व निर्णय को यथावत कायम रखा।
वादी भंवरलाल शर्मा की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मोहनलाल सोनी ने की। एडवोकेट मोहनलाल सोनी की सहयोगी अधिवक्ता दीपिका करनाणी ने बताया कि भंवरलाल शर्मा को वादगत भूखण्ड का मालिक न्यायालय द्वारा माना गया। और प्रतिवादी भगवानाराम जाट को इस भूखण्ड से बेदखल करने का आदेश दिया गया था।
सिविल न्यायालय द्वारा डिक्री जारी होने के बाद अपील के दौरान वादी भंवरलाल ने इजराय (फैसला की पालना) पेश करके वादगत भूखण्ड का कब्जा न्यायालय के माध्यम से प्राप्त कर लिया था। परन्तु बकाया किराया प्राप्त नहीं हुआ था। एडीजे कोर्ट ने सिविल न्यायालय के निर्णय को यथावत रखा है जिसके अंतर्गत भगवानाराम जाट को बकाया किराया भी अदा करना पड़ेगा।

Next Team Writer

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