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सांडों की लड़ाई में युवक की मौत, कोर्ट ने सरकार और पंचायत को ठहराया दोषी; और इधर, श्रीडूंगरगढ़ में आये दिन सांडों की लड़ाई में हो रहे हादसे, जिम्मेवार उदासीन

By Next Team Writer

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NEXT 6 फरवरी, 2025। बीकानेर के केसरदेसर जाटान गांव में दो सांडों की लड़ाई के दौरान एक युवक की मौत के मामले में जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए ग्राम पंचायत केसरदेसर जाटान और राजस्थान सरकार को इस हादसे के लिए दोषी ठहराया है और मृतक के परिजनों को 33 लाख 22 हजार 600 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
कैसे हुई थी घटना?
21 मई 2018 को 40 वर्षीय आशाराम सुथार अपने घर जा रहे थे। सुबह 9:30 बजे गली में लड़ रहे दो सांडों की चपेट में आ गए और गंभीर चोट लगने से उनकी मौत हो गई। परिजनों ने सरकार और पंचायत के खिलाफ मुआवजे के लिए मामला दायर किया था।
कोर्ट का फैसला और तर्क
बीकानेर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने माना कि पंचायत और राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी कि वे आवारा पशुओं को नियंत्रित करें और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे आशाराम की जान गई। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को आवारा पशुओं के लिए गौशालाओं या अन्य योजनाओं के तहत प्रबंध करना चाहिए था।

घास मंडी जाने वाला मुख्य मार्ग, मार्गों पर इनका राज


मुआवजे की गणना
कोर्ट ने मृतक की वार्षिक आय को 2,89,117 रुपये मानकर, आश्रितों के हिस्से की गणना की और 32,52,600 रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में तय किए। इसके अलावा—
सहजीवन क्षति: 40,000 रुपये
अंतिम संस्कार खर्च: 15,000 रुपये
लॉस ऑफ एस्टेट: 15,000 रुपये
कौन-कौन थे मृतक के आश्रित?
आशाराम के परिवार में पत्नी, तीन बच्चे और माता-पिता सहित कुल 6 आश्रित थे।
सरकार और पंचायत की जिम्मेदारी तय
यह फैसला नागरिक सुरक्षा और सरकारी लापरवाही के मामलों में एक मिसाल बन सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आवारा पशुओं की समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इस तरह की घटनाओं के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

ऑटो स्टैंड पर बेसहारा सांडों का जमावड़ा, आपस में लड़ते हुए


श्रीडूंगरगढ़ के मुख्य बाजार में आये दिन होते हादसे
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे में बेसहारा गौवंश की संख्या सैंकड़ों में है जो आये दिन सब्जी मंडी, ऑटो स्टैंड, सरकारी अस्पताल, स्कूल, गांधी पार्क, घास मंडी रोड सहित अन्य मार्गों पर स्वछंद विचरण करते रहते हैं और आपस में लड़ते रहते हैं। उनकी इस लड़ाई में वहां से गुजर रहे पैदल राहगीर और बाइक सवार उनकी चपेट में आकर चोटिल और घायल होते रहते हैं। गत बुधवार को ही एक महिला सांडों की लड़ाई में चोटिल हुई थी। एक अनुमान के अनुसार श्रीडूंगरगढ़ कस्बे में प्रतिवर्ष 36 से अधिक हादसे बेसहारा सांडों के कारण कस्बे में होते हैं। इसके अलावा, बाइक और चौपहिया वाहनों के नुकसान की घटनाएं भी कारित होती है।
श्रीडूंगरगढ़ प्रशासन, नगर पालिका प्रशासन को यथाशीघ्र बेसहारा गौवंश के प्रबंधन का कदम उठाना चाहिए ताकि कोई अप्रिय घटना कस्बे में घटित ना हो।

Next Team Writer

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