
क्या है मानहानि?
मानहानि का अर्थ है- किसी व्यक्ति की सामाजिक, व्यावसायिक या व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को जानबूझकर शब्दों, चित्रों या इशारों के माध्यम से नुकसान पहुँचाना। यह कार्य सार्वजनिक रूप से किया जाए तो इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 में इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
मानहानि के उदाहरण निम्न प्रकार से दिये जा सकते हैं
जब कोई व्यक्ति दुर्भावनापूर्ण मंशा से किसी पर झूठे आरोप लगाता है या अपमानजनक भाषा का प्रयोग करता है जिससे उसकी छवि को धक्का पहुँचता है, तो यह आपराधिक श्रेणी में आता है। इसमें दोषी को सजा और जुर्माना दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
मानहानि मौखिक शब्दों से, प्रकाशन से , संकेत से हो सकती है।
उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति किसी मीटिंग में किसी व्यक्ति की ख्याति को नुकसान पहुंचाने के आशय से यह आरोप लगाता है यह अमुक व्यक्ति अपराधी है। तो यह आरोप उस व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचाता है। तो यह मौखिक मानहानि की परिभाषा में आएगा। इस मानहानि को शब्दों के द्वारा की गई मानहानि कहा जाता है।
अन्य उदाहरण में, कोई व्यक्ति सार्वजनिक रूप से एक सूचना प्रकाशित करता है कि अमुक आदमी तस्करी का काम करता है। तो यह मानहानि की परिभाषा में आएगा। और प्रकाशन के द्वारा की गई मानहानि माना जायेगा।
उदाहरण, कोई व्यक्ति की गाय चोरी हो गई और वह व्यक्ति उस गाय की जानकारी करता है तो एक व्यक्ति दुर्भावनापूर्ण आशय से एक चित्र बनाता है जिसमें गाय की डोरी पकड़े हुए उस व्यक्ति का चित्र बनाता है जिसकी वह मानहानि करना चाहता है। तो यह कृत्य भी चित्रांकन के द्वारा की गई मानहानि माना जायेगा।
उदाहरण, व्यंग्य के द्वारा भी किसी व्यक्ति की मानहानि हो सकती है। यदि कोई व्यक्ति यह कहे कि वह इतना ईमानदार व्यक्ति है कि उसने रिश्वत देकर अपनी सफलता हासिल की होगी। तो यह व्यंग्यात्मक बयान उस व्यक्ति की ईमानदारी पर सवाल खड़ा करती है और यह मानहानि के दायरे में आती है।
अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के चरित्र पर दुर्भावनापूर्ण आशय से आरोप लगाता है तो यह भी मानहानि की परिभाषा में आएगा।
अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर बदनाम करने के आशय से आरोप लगाता है कि उसे HIV रोग हो गया है तो यह कथन भी मानहानि के दायरे में आता है।
क्या मृत व्यक्ति की भी मानहानि हो सकती है?
हां, अगर कोई व्यक्ति किसी मृत व्यक्ति के बारे में ऐसे कथन कहता है जिससे उसके परिवार या निकट संबंधियों की भावनाओं को ठेस पहुँचती है, और यदि वह व्यक्ति जीवित होता तो उसकी प्रतिष्ठा प्रभावित होती, तो यह भी मानहानि के दायरे में आता है।
समूह या संस्था की मानहानि
किसी कंपनी, संस्था या समूह की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाला कृत्य भी मानहानि मानी जाती है। विशेषकर जब किसी संगठन के बारे में अपमानजनक टिप्पणियाँ की जाएं या व्यंग्यात्मक भाषा का प्रयोग किया जाए, जो उसकी छवि को धूमिल करे।
जैसे, किसी संस्था पर कोई व्यक्ति उस संस्था की छवि धूमिल करने के आशय से यह आरोप लगाता है कि इस संस्था में चंदे की राशि का दुरुपयोग किया जाता है। तो यह मानहानि की परिभाषा में आता है।
मानहानि के कानूनी प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 के तहत, मानहानि के दोषी व्यक्ति को अधिकतम दो वर्ष की कारावास, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। हालांकि हर मामला परिस्थितियों के अनुसार अदालत द्वारा परखा जाता है।
निष्कर्ष
स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार संविधान द्वारा दिया गया है, लेकिन यह अधिकार बिना सीमा के नहीं है। किसी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाना न केवल नैतिक रूप से अनुचित है, बल्कि कानून की नजर में एक दंडनीय अपराध भी है। समाज में स्वस्थ संवाद और जिम्मेदार अभिव्यक्ति ही सच्ची लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करती है।