NEXT 29 जुलाई, 2025 श्रीडूंगरगढ़। खरीफ सीजन में यूरिया की मांग बढ़ने के साथ ही कृषि विभाग सतर्क हो गया है। जिले में खाद की पारदर्शी आपूर्ति सुनिश्चित करने और गैर कृषि कार्यों में हो रहे दुरुपयोग पर लगाम कसने के लिए सोमवार को कृषि भवन स्थित आत्मा सभागार में जिले के सभी थोक उर्वरक विक्रेताओं और कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई।

संयुक्त निदेशक कृषि कैलाश चौधरी ने कहा कि अब हर यूरिया खरीदने वाले किसान की पूरी जानकारी दर्ज करनी होगी। इसके लिए हर विक्रेता को रजिस्टर रखना अनिवार्य होगा, जिसमें किसान का नाम, पिता का नाम, गांव, चक नंबर, आधार नंबर, मोबाइल, खाद कंपनी और बैगों की संख्या दर्ज की जाएगी। किसान से हस्ताक्षर भी करवाए जाएंगे।
“यूरिया का इस्तेमाल सिर्फ खेती में हो, यही सुनिश्चित करना है। फैक्ट्री, पशु आहार, प्लाईवुड या प्लास्टिक बनाने में उपयोग मिला तो होगी सख्त कार्रवाई।”
— कैलाश चौधरी, संयुक्त निदेशक कृषि
50 बैग से ज्यादा खरीदने वालों की होगी जांच
सहायक निदेशक उद्यान मुकेश गहलोत ने बताया कि जो किसान 50 या उससे ज्यादा बैग यूरिया खरीदते हैं, उनकी सूची बनाकर जांच की जाएगी। जांच रिपोर्ट आईएफएमएस पोर्टल पर अपलोड की जाएगी और संबंधित सहायक कृषि अधिकारी के माध्यम से रिपोर्ट संयुक्त निदेशक कार्यालय भेजनी होगी।
क्यों हो रही है ज्यादा खपत?
सहायक निदेशक कृषि सुरेन्द्र मारू ने बताया कि कृषि ग्रेड नीम कोटेड यूरिया पर केंद्र सरकार सब्सिडी देती है, जिससे यह तकनीकी ग्रेड यूरिया से 40 रुपए प्रति किलो सस्ती पड़ती है। इसी कारण कई फैक्ट्रियां तकनीकी ग्रेड की बजाय सस्ती कृषि ग्रेड यूरिया का इस्तेमाल कर रही हैं। इससे यूरिया की खपत कृत्रिम रूप से बढ़ गई है।
“कृषि यूरिया का दुरुपयोग रोकने के लिए मंडियों में निरीक्षण शुरू कर दिया गया है। उर्वरक के अनावश्यक भंडारण और टैगिंग पर भी नजर रखी जा रही है।”
— सुरेन्द्र मारू, सहायक निदेशक कृषि
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में कृषि अधिकारी रामनिवास गोदारा, सीसीबी से सुभाष चौधरी, सहकारिता से कैलाश सैनी, कृभको से संदीप बिश्नोई, इफको से एम.आर. जाखड़, चंबल फर्टिलाइजर से सुमित शर्मा, एनएफएल से लखवीर सिंह और जिले के प्रमुख उर्वरक विक्रेता सुनील राठी, निर्मल राखेचा, रमेश कलवानिया, महीपाल, शीशपाल, लियाकत अली सहित कई लोग मौजूद रहे।