ज्योतिषियों की राय- जितना ज्यादा तपेगा नौतपा, उतना बेहतर होगा मानसून
NEXT 27 मई, 2025। नौतपा की शुरुआत इस बार तपन के बजाय ठंडी हवाओं और अंधड़ से हुई। शनिवार को जहां तेज अंधड़ के चलते मौसम में ठंडक घुल गई, वहीं रविवार और सोमवार को भी लू जैसी गर्मी महसूस नहीं हुई। ऐसे में सोशल मीडिया पर लोक संस्कृति विद् दीप सिंह भाटी की एक पुरानी लोकपंक्ति जमकर वायरल हो रही है:
“दो मूसा, दो कातरा, दो तीडी, दो ताय, दो की यादी जल हरै, दो विश्वर दो वाय।”
इस कहावत का अर्थ है कि यदि नौतपा के नौ दिनों में लगातार लू नहीं चली, तो प्रकृति और कृषि चक्र पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। परंपरागत मान्यता और लोक अनुभव बताते हैं कि:
- पहले दो दिन लू ना चले तो चूहों (मूसा) की संख्या बढ़ती है, जो फसलों और अनाज को नुकसान पहुंचाते हैं।
- अगले दो दिन अगर लू ना हो तो ‘कातरा’ यानी हानिकारक कीटों का प्रकोप बढ़ता है।
- तीसरे दो दिन में गर्मी नहीं पड़ी तो टिड्डियों (तीडी) के अंडे नष्ट नहीं होते।
- अगले दिन ‘ताय’ यानी वायरल संक्रमण फैलाने वाले जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं।
- आखिरी दो दिन अगर तेज गर्मी न हुई तो सांप-बिच्छुओं की संख्या में इजाफा होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी देता है समर्थन
विशेषज्ञों का मानना है कि नौतपा की लू से भूमि कीटाणु रहित होती है, टिड्डियों के अंडे और वायरस नष्ट होते हैं। यदि ये प्रक्रिया ठीक से न हो तो मानसून की गुणवत्ता और कृषि उत्पादन दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
इस बार का नौतपा
रविवार को नौतपे की शुरुआत झुलसाने वाली गर्मी से नहीं हुई। शनिवार की तेज आंधी और ठंडी हवाओं ने तापमान को नीचे गिरा दिया। सोमवार को तापमान जरूर थोड़ा बढ़ा, लेकिन रातें अपेक्षाकृत ठंडी बनी हुई हैं।
ज्योतिषियों की चेतावनी
ज्योतिषाचार्य कहते हैं, “नौतपा जितना ज्यादा तपेगा, मानसून उतना ही अच्छा होगा। यदि नौतपा में तेज लू और गर्मी नहीं पड़ी, तो बारिश की मात्रा और समय दोनों प्रभावित हो सकते हैं।”