NEXT 16 दिसम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। प्रशासन द्वारा श्रीडूंगरगढ़ तहसील में गिरदावर मुख्यालय पर फॉलो-अप शिविर लगाए जा रहे हैं, लेकिन ये शिविर ग्रामीणों के लिए राहत के बजाय महज औपचारिकता बनकर रह गए हैं। इन शिविरों में लंबित एवं बकाया प्रकरणों के निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं, जबकि इससे पहले गांवों में लगाए गए कई शिविरों के काम आज तक अधूरे पड़े हैं। यह आरोप लोकसेवा समिति ने लगाया।
समिति का कहना है कि इन शिविरों से जमीन स्तर पर कोई लाभ नहीं मिल रहा। अधिकारी और कर्मचारी केवल खानापूर्ति के लिए गांवों में पहुंचते हैं। इसका असर यह है कि न तो तहसील कार्यालय में नियमित काम हो पा रहा है और न ही शिविरों में मौजूद अधिकारियों को निर्णय लेने या कार्य पूर्ण करने का अधिकार है।
इसका उदाहरण ग्राम पंचायत शेरुणा का मामला है, जहां कटानी रास्तों को नक्शे में अंकित करने को लेकर विवाद लंबे समय से लंबित है, लेकिन बार-बार शिविर लगने के बावजूद अब तक समाधान नहीं हो पाया।
लोकसमता समिति ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो पूरे मामले की जानकारी मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार तक पहुंचाई जाएगी, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के आमजन को न्याय और राहत मिल सके।














