आज हम छल के बारे में जानेंगे कि छल यानि धोखा कैसे किया जाता है तथा विधि में इसके विषय में क्या-क्या प्रावधान है।

छल किसे कहते हैं? भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 318 के अनुसार कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को बेईमानी पूर्वक, कपटपूर्वक आशय से प्रेरित करता है कि इस प्रकार प्रेरित किए गये व्यक्ति को उत्प्रेरित करे कि कोई सम्पति किसी व्यक्ति को दे देवें या यह सहमति दे देवें। कोई व्यक्ति किसी चीज को रखे या ऐसा कोई कार्य करे या लोप करे कि यदि उसे प्रेरित(प्रवंचित) नहीं किया गया है तो वह नहीं करता या लोप नहीं करता। जिससे उस व्यक्ति को शरीर, सम्पति, मानसिक या ख्याति संबंधी नुकसान हो, छल करता है यह कहा जाता है। जैसे कोई व्यक्ति कोई धनराशि किसी व्यक्ति को लौटाने का आशय न रखते हुए उस व्यक्ति को प्रेरित करते हुए या गुमराह करते हुए रुपये उधार लेता है तो वह व्यक्ति छल(धोखा) करता है। कोई व्यक्ति असली सैंपल दिखाकर नकली माल बेचता है वह छल करता है।
सार रूप में यह कहा जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति बेईमानीपूर्वक आशय रखते हुए ऐसा कार्य करता है जिससे दूसरे व्यक्ति को नुकसान कारित हो वह छल करता है। छल का आवश्यक तत्व बेईमानी का आशय होना है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 318(3) में दोषी व्यक्ति को 5 वर्ष तक की सजा तथा जुर्माना से दंडित किया जा सकता है।
धारा 318 (4) के अनुसार यदि धोखा देने वाला व्यक्ति किसी मूल्यवान दस्तावेज में परिवर्तन कर देता है या उसे नष्ट कर देता है तो उसे सात वर्ष तक की सजा व जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 61 में आपराधिक षड्यंत्र के विषय में दंड का प्रावधान है। इसके अनुसार जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी अवैध कार्य को करने या वैध कार्य को अवैध साधनों के द्वारा करने या करवाने के लिए सहमत होते है तो ऐसी सहमति आपराधिक षड्यन्त्र कहलाती है।
इसके लिए दोषी व्यक्ति को वो ही दंड दिया जाएगा जो कि उस अपराध के लिए उपबन्धित होगा।