NEXT 12 जुलाई, 2025 श्रीडूंगरगढ़। अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, श्रीडूंगरगढ़ इकाई द्वारा गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आदर्श विद्या मंदिर प्रांगण में भव्य गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया गया। यह आयोजन गुरु परंपरा, साहित्यिक चेतना और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति जन-जागरण का प्रतीक बन गया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, जोधपुर प्रांत के अध्यक्ष डॉ. अखिलानंद पाठक ने “आत्मबोध से विश्वबोध” की भावना को आत्मसात करते हुए गुरु के महत्त्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि साहित्यिक चेतना से राष्ट्र निर्माण संभव है और इसके लिए नवोदित रचनाकारों को जोड़ना समय की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि गुरु का सम्मान करना नई पीढ़ी की नैतिक जिम्मेदारी है । अगर हम चाहें, तो आज भी विश्वामित्र और चाणक्य जैसे गुरु हमारे आसपास मिल सकते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं कर्मठ समाजसेवी रूपचन्द सोनी ने कहा कि गुरु ही परम वैभव तक पहुंचने का एकमात्र मार्ग है। उन्होंने अपने प्रेरणादायक वक्तव्य से युवाओं को गुरु के पथ पर चलने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सेवा धाम की बहनों द्वारा प्रस्तुत दीप मंत्र से हुआ। इसके पश्चात सेवा धाम की बहनों ने गुरुवंदना प्रस्तुत की, जिसने वातावरण को भक्तिभाव से ओतप्रोत कर दिया।
इस अवसर पर स्थानीय खंड संघचालक आसाराम पारीक का भी सान्निध्य प्राप्त हुआ। साहित्य परिषद् के कोषाध्यक्ष रमेश सारस्वत ने सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। सपना मीणा ने गुरु पूर्णिमा पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए और परिषद् की अध्यक्ष भगवती पारीक ‘मनु’ ने मंच से सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन अंबिका डागा ने किया। आयोजन में परिषद् के पदाधिकारी, सदस्यगण, मातृशक्ति एवं स्थानीय नागरिकों की सक्रिय उपस्थिति रही।