NEXT 1 मार्च, 2025। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में सरकार को आदेश दिया है कि किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को बिना लिखित कारण बताए एपीओ (Awaiting Posting Order) नहीं किया जा सकता। जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ ने डॉ. दिलीप सिंह चौधरी, गणराज विश्नोई, डॉ. मांगीलाल सोनी, लक्ष्मीनारायण कुम्हार सहित 56 याचिकाकर्ताओं को राहत दी है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को नए प्रशासनिक आदेश जारी करने के निर्देश भी दिए हैं।
एपीओ की अवधि 30 दिन से अधिक नहीं
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि एपीओ की अवधि 30 दिन से अधिक नहीं होगी और इसे ट्रांसफर या दंड के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकेगा। एपीओ आदेश केवल राजस्थान सेवा नियम 1951 में दी गई परिस्थितियों में ही जारी किया जा सकता है।
बीसीएमओ के मामले से उठा विवाद
याचिकाकर्ताओं के वकील एडवोकेट यशपाल खिलेरी ने बताया कि भोपालगढ़ के ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी (BCMO) डॉ. दिलीप सिंह चौधरी को 19 फरवरी 2024 को बिना कारण बताए एपीओ कर दिया गया था। जबकि महज 3 साल के अनुभव वाले जूनियर डॉक्टर को उनका पद सौंप दिया गया।
सरकार की दलील और कोर्ट का निर्णय
सरकार ने तर्क दिया कि एपीओ आदेश प्रशासनिक आवश्यकता और जनहित में राजस्थान सेवा नियम 25 क के तहत जारी किए गए थे। लेकिन हाईकोर्ट ने पूर्व न्यायिक फैसलों और राजस्थान सेवा नियम 1951 की समीक्षा के बाद सरकार की दलील को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने सभी एपीओ आदेशों को निरस्त कर दिया और निर्देश दिया कि बिना ठोस कारण बताए किसी भी कर्मचारी को एपीओ नहीं किया जाएगा।
फैसले का असर
सरकारी कर्मचारियों को मनमानी कार्रवाई से राहत मिलेगी।
ट्रांसफर या दंड के रूप में एपीओ का दुरुपयोग नहीं किया जा सकेगा।
सरकारी विभागों में पारदर्शिता और न्याय की स्थिति मजबूत होगी।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार को अब एपीओ संबंधी नए प्रशासनिक दिशानिर्देश जारी करने होंगे।
राजस्थान हाइकोर्ट का बड़ा फैसला: बिना कारण बताए कर्मचारियों को एपीओ नहीं कर सकेगी सरकार

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