NEXT 6 नवम्बर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत पर राज्य सरकार को सख्त फटकार लगाई है। कोर्ट ने स्कूलों के क्लासरूम ठीक करने के लिए पेश किए गए सरकार के रोडमैप को अधूरा बताते हुए लौटा दिया।
जस्टिस महेन्द्र गोयल और जस्टिस अशोक जैन की खंडपीठ ने गुरुवार को झालावाड़ स्कूल हादसे पर स्वप्रेरणा से दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि “सरकार 2047 के विजन की बात करती है, लेकिन स्कूलों के लिए कल की भी योजना नहीं है।”
“घोषणाएं बहुत, धरातल पर काम नहीं”
बैंच ने टिप्पणी की कि बजट में हर साल नए स्कूल और कॉलेज खोलने की घोषणाएं होती हैं, लेकिन जहां वास्तव में जरूरत है, वहां ध्यान नहीं दिया जाता। कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार को चुनावी वादों के बजाय वास्तविक जरूरतों के हिसाब से काम करना चाहिए।
स्कूल भवनों की सुरक्षा पर सवाल
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी उल्लेख किया, जिसमें ‘नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइन फॉर स्कूल सेफ्टी 2016’ का पालन अनिवार्य बताया गया है। अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या प्रदेश के स्कूल भवन इन गाइडलाइनों के अनुरूप हैं या नहीं।
“86 हजार कमरे जर्जर हालत में”
एनसीपीसीआर के वकील वागीश सिंह ने कोर्ट को बताया कि पहले भी सरकार को निर्देश दिए गए थे कि अलग-अलग मदों में बजट का ब्यौरा पेश किया जाए। जैसे जर्जर भवनों की मरम्मत, नए भवनों का निर्माण और रखरखाव पर कितना खर्च हुआ।
कोर्ट ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राज्य में करीब 86 हजार कक्षाएं जर्जर हालत में हैं, लेकिन सरकार की रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि इन सभी कमरों की मरम्मत कैसे और कब होगी।















