NEXT 9 जून, 2025। श्रीडूंगरगढ़ कस्बे के जैन परिवार में जन्मे जैन मुनि धनंजय कुमार की आध्यात्मिक तप यात्रा के 50 वर्ष शुरू होने पर रविवार को रोहिणी में भव्य समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर उनकी नई पुस्तक ‘महाप्रज्ञ मंथन’ का लोकार्पण भी किया गया।

महिलाओं द्वारा जैन गीतिका से शुरू हुए इस समारोह में दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, जबकि दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग के न्यायाधीश सुभाष चंद्र जैन ने अध्यक्षता की। विशेष अतिथि के रूप में भारत सरकार की संस्था एपीडा (APEDA) के सदस्य व हिंदी सलाहकार समिति सदस्य अनिल जैन और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सदस्य डॉ. कमल जैन सेठिया मौजूद रहे।

सुबह 8:30 बजे आरंभ हुए कार्यक्रम में देशभर से श्रद्धालु और जैन समाज के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। आयोजन के केंद्र में रहा मुनि धनंजय का वह आध्यात्मिक जीवन, जो उन्होंने किशोर अवस्था में दीक्षा लेकर प्रारंभ किया था।

50 वर्षों का संयम, साधना और आत्मकल्याण
समारोह में वक्ताओं ने कहा कि यह आयोजन किसी एक व्यक्ति के सम्मान का नहीं, बल्कि जिन शासन की आध्यात्मिक परंपरा की जीवंतता का प्रतीक है। मुनि धनंजय कुमार ने तप, त्याग, मौन और आत्ममंथन के माध्यम से न केवल स्वयं को आत्मशुद्धि की ओर अग्रसर किया, बल्कि सैकड़ों आत्माओं को आत्मजागरण की दिशा भी दिखाई।

उन्होंने कहा कि मुनि धनंजय का जीवन इस बात का प्रमाण है कि जीवन की सच्ची सफलता सत्ता, संपत्ति या वैभव में नहीं, बल्कि संयम, मौन और ध्यान में है। उनका मौन भी एक अमोघ उपदेश है, और उनका तप किसी भी आभूषण से अधिक प्रभावशाली।
संकल्प और प्रेरणा का संदेश
कार्यक्रम के अंत में श्रद्धालुओं ने मुनि धनंजय के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए और मुनि ने प्रेरणास्वर में कहा कि “हम भी अपने जीवन में संयम, ध्यान और आत्मचिंतन का समावेश करें, ताकि जीवन केवल जिया न जाए, बल्कि सार्थक भी बने।”
कार्यक्रम में पूर्व आईएएस लालचंद सिंघी, पूर्व आईईएस माणक चन्द सिंघी, उद्योगपति राकेश ललवाणी, प्रकाश ललवाणी, पांचीलाल सिंघी सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।