NEXT 29 जनवरी, 2025 । राजस्थान हाइकोर्ट जोधपुर ने श्रीडूंगरगढ़ कस्बे में स्थित एक दुकान के सम्बंध में अपने एक फैसले में उन सभी दुकान मालिकों को राहत दी है जिनकी दुकानें वर्षों से किरायेदारों को किराये पर दी गई थी और अब उन दुकानों पर उन्हीं किरायेदारों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। ऐसे में सभी दुकान मालिकों को न्यायालय की तरफ से एक उम्मीद भरी राहत मिली है।
क्या था मामला: कस्बे के मुख्य बाजार में स्थित एक दुकान के संबंध में राजस्थान हाइकोर्ट द्वारा एक महत्त्वपूर्ण फैसला 28 जनवरी, 2025 को सुनाया गया। एडवोकेट मोहनलाल सोनी ने बताया कि वादी विजयराज बरड़िया ने एक दावा लक्ष्मीनारायण झालरिया के विरुद्ध यह कहते हुए प्रस्तुत किया कि विजयराज बरड़िया इस दुकान का मालिक है और लक्ष्मीनारायण झालरिया इस दुकान का किरायेदार है। यह दावा अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्रीडूंगरगढ़ के न्यायालय में चला। और वादी विजयराज बरड़िया के पक्ष में फैसला हुआ कि किरायेदार लक्ष्मीनारायण दुकान का कब्जा विजयराज बरड़िया को सौंप देवें और बकाया किराया भी अदा करें।
किरायेदार की अपील खारिज :इस दावे के निर्णय होने के बाद लक्ष्मीनारायण ने राजस्थान हाइकोर्ट जोधपुर में अपील दायर की। उसका निस्तारण 28 जनवरी को हुआ। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रेखा बोराणा की पीठ ने किरायेदार झालरिया की अपील खारिज करते हुए किरायेदार को आदेश दिया कि आगामी 18 माह के भीतर इस दुकान का कब्जा मालिक विजयराज बरड़िया को सौंप देवें और बकाया किराया व हर्जाना ब्याज सहित विजयराज बरड़िया को देवें।
किरायेदार सबलेट नहीं कर सकता : न्यायालय ने कहा कि अगर किरायेदार लक्ष्मीनारायण झालरिया इस दुकान को किसी अन्य को संभलाता है या किराये पर देता है या विपरीत कोई परिस्थिति पैदा करता है तो उसे न्यायालय की अवमानना माना जायेगा।
विजयराज बरड़िया के अधिवक्ता मोहनलाल सोनी ने बताया कि न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि किरायेदार लक्ष्मीनारायण झालरिया इस संबंध में एक माह के भीतर-भीतर अपनी अंडरटेकिंग और शपथ पत्र भी न्यायालय में प्रस्तुत करेगा।
इस 18माह की अवधि में दिनांक 1 फरवरी, 2025 से 15000/- रुपये प्रतिमाह किराया भी किरायेदार झालरिया द्वारा दुकान मालिक बरड़िया को अदा किया जाएगा।
15 लाख से अधिक की राशि देगा किरायेदार : एडवोकेट मोहनलाल सोनी ने बताया कि कोर्ट के आदेशानुसार किरायेदार झालरिया द्वारा किरायेदार के रूप में बरड़िया को ना तो किराया दिया गया और ना ही बरड़िया को कब्जा सौंपा गया। आखिरकार परेशान बरड़िया कोर्ट की शरण में गया जहां उसे न्याय मिला। अब झालरिया कोर्ट के आदेशानुसार बरड़िया को 15 लाख से अधिक रुपये अदा करने होंगे।