
धारा 3 के अंतर्गत जिन कृत्यों को अत्याचार की श्रेणी में रखा गया है, वे निम्नलिखित हैं:
- धारा 3(क) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति या जनजाति के किसी सदस्य के मुँह में जानबूझकर अखाद्य या घृणित वस्तु डालता है या उसे खाने-पीने के लिए बाध्य करता है, तो यह एक दण्डनीय अपराध माना जाएगा।
- धारा 3(ग) के अंतर्गत, यदि किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति को अपमानित या क्षुब्ध करने की नीयत से उसके निवास स्थान के पास मल-मूत्र, कूड़ा-कचरा, मृत पशु का शरीर या अन्य घृणित वस्तुएँ एकत्र की जाती हैं, तो यह भी एक गंभीर अपराध है।
- धारा 3(घ) कहती है कि यदि किसी व्यक्ति को जूतों की माला पहनाई जाती है या उसे नग्न अथवा अर्धनग्न अवस्था में घुमाया जाता है, तो यह अत्याचार की श्रेणी में आता है।
- धारा 3(ड़) के अनुसार, अनुसूचित जाति/जनजाति के किसी व्यक्ति के साथ बलपूर्वक कपड़े उतरवाना, मुंडन कराना, मूंछें हटवाना, चेहरे या शरीर को गोदना या ऐसा कोई भी कार्य करना जो उसकी गरिमा को ठेस पहुँचाए, दण्डनीय है।
- धारा 3(च) के अंतर्गत, अनुसूचित जाति/जनजाति के स्वामित्व वाली या सरकारी आवंटन वाली भूमि पर जबरन कब्जा करना, उस पर खेती करना या किसी अन्य के नाम ट्रांसफर करवाना अपराध है।
- धारा 3(छ) के अनुसार, यदि किसी एससी/एसटी व्यक्ति को उसकी भूमि, आवासीय परिसर या जल स्रोत आदि से वंचित किया जाता है या उसकी फसल को नष्ट किया जाता है, तो यह भी एक दण्डनीय कृत्य है।
- धारा 3(थ) के अंतर्गत, किसी एससी/एसटी व्यक्ति को मतदान करने, चुनाव लड़ने या नामांकन दाखिल करने से रोकना, उसे प्रस्तावक बनने से रोकना भी अपराध की श्रेणी में आता है।
- यदि कोई व्यक्ति एससी/एसटी वर्ग का निर्वाचित जनप्रतिनिधि है, और उसकी कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न की जाती है, तो यह भी एक गंभीर अपराध है।
शेष आगामी अंक में