NEXT 11 मई, 2025। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के रिड़ी गांव में एक परिवार ने समाज को दहेज प्रथा के खिलाफ अनूठा संदेश दिया है। स्व. मुकनाराम जाखड़ के बेटे रामकरण और रामचंद्र ने अपने बेटों मालाराम, विजयपाल और उदयशंकर की शादी बिना दहेज के कर एक मिसाल पेश की।

वर पक्ष की ओर से शादी में केवल प्रतीकात्मक रूप से 1 रुपया और नारियल ही शगुन के रूप में लिया गया। यह शादियाँ ढाणी सिवराम के श्यामलाल बिरड़ा की बेटी विमला और बापेऊ निवासी गणेशाराम महिया की बेटियाँ सुमन व मनीषा से संपन्न हुईं।

समारोह में मौजूद लोगों ने इस पहल को सराहा और कहा कि यह एक ऐसा कदम है जो समाज को नई दिशा देने वाला है। दूल्हों के पिता रामकरण व रामचंद्र ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हमारे लिए बहू ही सबसे बड़ा दहेज है। बेटी को सम्मान देना ही हमारी संस्कृति की असली पहचान है।”
परिवार के इस निर्णय से न केवल रिश्तेदार, बल्कि पूरे गांव और आसपास के क्षेत्र में खुशी की लहर है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और पंचायत प्रतिनिधियों ने भी इस कदम को सराहनीय बताते हुए कहा कि यदि ऐसे प्रयास लगातार हों, तो दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियाँ समाप्त हो सकती हैं।
इस पहल से समाज को यह सीख मिलती है कि बदलाव की शुरुआत परिवार से होती है और जब परिवार ठान ले, तो समाज भी पीछे नहीं रहता।