
जब कोई हिन्दू पुरूष या महिला बिना किसी वसीयत के मर जाता है तो उसकी संपत्तियों का उसके वारिसानों के मध्य बंटवारा कैसे होगा? इसके सम्बंध में धारा 8 व 15 में बताया गया है।
धारा 8 के अनुसार सबसे पहले वर्ग 1 में वर्णित वारिस जिसमें मृतक का पुत्र/पुत्री/पत्नी/ माता/ पूर्व मृत पुत्र का पुत्र/पूर्व मृत पुत्री की पुत्री/पूर्व मृत पुत्री का पुत्र/पूर्व मृत पुत्र की विधवा इन सभी को बराबर-बराबर हिस्सा प्राप्त होगा।
उदाहरण: एक हिन्दू पुरुष के मृत्यु के समय उसके पास 1218 दरगज का मकान, 3लाख रुपये नगद और 20तोला सोना है। और उसके दो पुत्र, एक पुत्री, माँ व पत्नी है तो कुल 5वारिस हुए और प्रत्येक वारिस को 1/5 हिस्सा मिलेगा।
अगर हिन्दू पुरूष के मरते वक्त मृतक का पिता जिंदा है तो पिता वर्ग 1अनुसूची में नहीं आएगा और वर्ग 1में मौजूद वारिस जैसे पुत्र, पुत्री, पत्नी, माता आदि है। तो पिता का कोई हक व हिस्सा नहीं होगा।
धारा 15 के अनुसार कोई हिन्दू नारी जिसने अपनी संपत्तियों की कोई वसीयत नहीं कर रखी है और उसका देहांत हो जाता है तो उसकी संपत्ति पुत्र, पुत्री, पति को बराबर मिलेगी। मृतका के कोई पूर्व मृत पुत्र का पुत्र या पुत्री है तो उनको भी बराबर हिस्सा मिलेगा। हिन्दू नारी के कोई पुत्र, पुत्री या पोता या पोती या पति नहीं है तो उस महिला की संपत्ति उसके पति के वारिसों को प्राप्त होगी।
धारा 15 के सबसेक्शन 2के अनुसार अगर कोई संपत्ति हिन्दू महिला को अपने पिता या माता से विरासत में मिली हो और उसके कोई पुत्र/पुत्री/पोता//पौत्री न हो तो वह संपत्ति महिला के पिता के वारिसों को प्राप्त होगी। अगर हिन्दू नारी को कोई संपत्ति अपने पति या ससुर से विरासत में प्राप्त हुई हो और उस हिन्दू नारी के कोई पुत्र/पुत्री/ पौत्र/पौत्री नहीं हो तो वह संपत्ति पति के वारिसों को प्राप्त होगी।
दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा पारित निर्णय ऑल इंडिया रिपोर्टर 2011 के पेज नम्बर 170 में यह अभिनिर्धारित किया गया है कि सौतेली पुत्री या पुत्र को एक हिन्दू महिला की संपत्ति वारिस के रूप में प्राप्त नहीं होगी। सौतेले पुत्र व पुत्री अपने पिता की संपत्ति अपने हक अनुसार प्राप्त कर सकते हैं। अगर कोई हिन्दू महिला की मृत्यु हो जाती है तो उसकी पुत्रवधु का कोई हिस्सा नहीं होता है।