NEXT 12 दिसम्बर 2024 | आज आपको पत्नी, संतान और माता-पिता के भरण-पोषण के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 की धारा 144 में बताने जा रहे हैं। इस धारा के अंतर्गत पत्नी, जायज-नाजायज संतान (जो अवयस्क हो), या संतान 18वर्ष से ऊपर की है परन्तु वह शारीरिक और मानसिक क्षति के कारण स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ है या माता-पिता अपना स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ है तो भरण-पोषण प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
भरण-पोषण के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 की धारा 144
पीड़ित पक्ष पत्नी/पुत्र/ माता-पिता क्रमशः अपने पति/पिता/ पुत्र के विरुद्ध भरण पोषण के लिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र दे सकतें है। तलाकशुदा पत्नी दूसरी शादी न करें तब तक भरण-पोषण प्राप्त कर सकती है। इन सभी उपरोक्त में एक बात कॉमन है कि भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकारी वही है जो स्वयं अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है।
धर्मान्तरण, पर पुरुष सम्बंध, बिना किसी उचित कारण के अलग रहने वाली पत्नी भरण-पोषण प्राप्त नहीं कर सकती।
कार्यवाही विचाराधीन रहने के दौरान भी मजिस्ट्रेट द्वारा अंतरिम रूप से भरण-पोषण पारित किया जा सकता है ताकि पीड़ित पक्ष को तुरंत राहत मिल सके।
अगर पत्नी सहमति से पति से अलग रह रही है तो वह भरण-पोषण प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है।
मजिस्ट्रेट परिस्थितियों के अनुसार भरण-पोषण की राशि को बदलने का अधिकार रखता है। न्यायालय के आदेश देने के बावजूद अगर अप्रार्थी भरण-पोषण नहीं देता है तो न्यायालय उसे जेल भेज देगा।
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एडवोकेट दीपिका करनाणी श्रीडूंगरगढ़ कस्बे की एक सक्रिय अधिवक्ता है जिसने समय-समय पर जनहित के मुद्दों को न्यायालय के समक्ष उठाया। आज पत्नी, संतान और माता-पिता के भरण-पोषण से सम्बंधित कानून के बारे में एड. दीपिका से यहाँ हमने जाना है । |