NEXT 8अक्टूबर, 2025 श्रीडूंगरगढ़। किसानों के माथे पर फिर चिंता की लकीरें गहरा गई हैं। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में दो दिन से जारी झमाझम बरसात अब राहत नहीं, आफत बनकर बरसी है। खेतों में पकी खड़ी फसलें और सूखने रखी उपज बेमौसम बरसात की भेंट चढ़ गईं। मेहनतकश किसानों के अरमान एक बार फिर पानी में बह गए हैं।

खेती अब घाटे का सौदा
खेती-किसानी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन अब यही खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है। कभी सूखा, कभी ओलावृष्टि, तो कभी बेमौसम बरसात… संकटों का यह सिलसिला किसानों का पीछा ही नहीं छोड़ रहा। दिन-रात हाड़तोड़ मेहनत करने वाले भूमिपुत्र अब भगवान से भी सवाल करने लगे हैं- “आख़िर हम कब तक परीक्षा देंगे?”

तीन दिन की झमाझम ने तबाह की मेहनत
रविवार रात से शुरू हुआ बरसात का दौर मंगलवार तक जारी रहा। सातलेरा, बिग्गा, मूंडसर, उदयरामसर, बीदासर सहित कई गांवों में 20 अंगुल से ज्यादा बरसात दर्ज की गई। खेतों में काटकर रखी मूंग-मोठ की फसलें सड़ने लगी हैं। पानी में भीगकर फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। किसानों के चेहरे पर मायूसी और आंखों में आंसू साफ झलक रहे हैं।

“राम जी रूठ गए, अब राज से आस”
सातलेरा गांव के किसान किशनलाल जाखड़ रुंधे गले से बोले- “राम जी रूठ गया, थाली में घाल के कोस लियो है।” उन्होंने कहा कि “भगवान ने आलो काळ नाख़ दियो, फसल निकलने का वक्त आया तो बरसात कर अन्न छीन लियो।”
बिग्गा के किसान बनवारी जवरिया ने मायूसी में कहा- “अब तो राज से ही आस है, राम जी तो रूठ गए।”
मोठ-मूंग को सबसे ज्यादा नुकसान
लगातार बरसात से खेतों में खड़ी मूंग, मोठ, बाजरा, ग्वार और कपास की फसलें बर्बाद हो गई हैं। किसानों के मुताबिक, “मोठ-मूंग की फसल तो शत-प्रतिशत खराब हो चुकी है।”

सरकार से सर्वे और मुआवजे की मांग
किसानों ने राज्य सरकार से तत्काल सर्वे करवाने और मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि अगर अब सरकार ने मदद नहीं की तो किसान कर्ज के बोझ तले दब जाएंगे।
किसानों ने आसमान की ओर देखते हुए कहा- “हे प्रभु! अब तो रहम कर, हमारी मेहनत का फल बार-बार मत छीन।”
सभी फ़ोटो गौरीशंकर तावनिया शर्मा, सातलेरा















