NEXT 16दिसम्बर, 2024। लाडनूं स्थित जैन विश्व भारती के आचार्यतुलसी इंटरनेशनल प्रेक्षाध्यान केन्द्र में आयोजित अष्ट दिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का समापन हुआ। अष्टदिवसीय कक्षाओं के दौरान प्रेक्षाध्यान शिविर की मार्गदर्शिका समणी ऋजुप्रज्ञा द्वारा बताया गया कि यदि व्यक्ति को ऊर्ध्वयात्रा करनी है तो कर्मों के बोझ को कम करना होगा क्योंकि व्यक्ति स्वयं को हल्का महसूस करेगा तभी ऊंचाई को प्राप्त कर सकेगा।
विगत सप्ताह से प्रारम्भ हुए प्रेक्षाध्यान शिविर में आठ दिनों में नियमित दिनचर्या के माध्यम से कक्षाओं का संचालन किया गया। जिसमें प्रातःकालीन ध्यान के अतिरिक्त यौगिक क्रिया, अनुप्रेक्षा, श्वासप्रेक्षा, मंत्रप्रेक्षा व कायोत्सर्ग की कक्षाओं का संचालन किया गया। देश व विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से समागत प्रतिभागियों ने शिविर में अनेकों अनुभवों को आत्मसात किया। यू.एस.ए. व दुबई से भी प्रतिभागी पधारे। समणी नियोजिका अमलप्रज्ञा व श्रेयसप्रज्ञा द्वारा भी सैद्धांतिक कक्षाएं प्रदान की गई। यू.एसए. से पधारे पराग पारीक ने अपना अनुभव बताया कि इस शिविर में आकर उन्होंने श्वास प्रकम्पनों को महसूस किया।
ज्ञातव्य है कि शिविर में इंजीनियर, उद्योगपति, विद्यार्थियों, समाजसेवी व अन्य विभिन्न क्षेत्रों से पधारे व्यक्तियों ने सहभागिता दर्ज की। प्रशिक्षक के रुप में गौतम गादिया, सूरत, लाजपत जैन, हिसार व जयदीपसिंह ने सेवाएं प्रदान की।
आठ दिनों में अधिकांश प्रतिभागियों ने अपने आप में, व्यवहार में परिवर्तनों को अनुभव किया। कुछ प्रतिभागियों ने सतत ध्यान की दृष्टि से प्रेक्षाध्यान केन्द्र में प्रवास का भी संकल्प किया। पारमार्थिक शिक्षण संस्थान की बोधार्थियों ने भी शिविर में प्रतिभागिता की। समापन सत्र में डा. विजयश्री द्वारा प्रेक्षा फाउंडेशन द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों प्रेक्षावाहिनी, प्रेक्षा प्रशिक्षक प्रशिक्षण, प्रेक्षा कार्ड योजना, प्रेक्षाध्यान संबद्धता केन्द्र, प्रेक्षा संपोषण योजना की सविस्तार जानकारी प्रदान की गई। शिविर की व्यवस्थाओं में आशीष गुर्जर, दीपक ज्याणी, दीपक वर्मा, रविन्द्र महतो आदि का सहयोग प्राप्त हुआ।
अष्टदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर के समापन पर सहभागियों ने सुनाए अनुभव, कर्मों के बोझ को कम करके ऊपर उठ सकते हैं: समणी ऋजुप्रज्ञा

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